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मुंबई: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने IDBI बैंक के रणनीतिक विनिवेश के बाद भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को एक “सार्वजनिक शेयरधारक” के रूप में पुनः वर्गीकृत करने की मंजूरी दे दी है। यह कदम IDBI बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह विनिवेश केंद्र सरकार और एलआईसी द्वारा बैंक में अपनी संयुक्त हिस्सेदारी बेचने की योजना का हिस्सा है।
प्रमुख शर्तें
सेबी की यह मंजूरी कुछ महत्वपूर्ण शर्तों के अधीन है। इन शर्तों का पालन न करने पर मंजूरी स्वतः रद्द हो जाएगी। प्रमुख शर्तें इस प्रकार हैं:
मतदान अधिकार: एलआईसी के मतदान अधिकार बैंक के कुल शुद्ध प्रभावी मतदान अधिकारों के 10% से अधिक नहीं हो सकते हैं।
नियंत्रण पर प्रतिबंध: एलआईसी को बैंक के मामलों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह का नियंत्रण रखने की अनुमति नहीं होगी।
विशेष अधिकार नहीं: एलआईसी के पास बैंक से संबंधित कोई विशेष अधिकार नहीं होंगे।
बोर्ड में प्रतिनिधित्व नहीं: एलआईसी को आईडीबीआई बैंक के निदेशक मंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।
हिस्सेदारी में कमी: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, एलआईसी को विनिवेश पूरा होने के दो साल के भीतर आईडीबीआई बैंक में अपनी अवशिष्ट हिस्सेदारी को घटाकर 15% या उससे कम करना होगा।
पृष्ठभूमि
केंद्र सरकार और एलआईसी आईडीबीआई बैंक में अपनी संयुक्त 60.72% हिस्सेदारी बेच रहे हैं। इसमें सरकार की 30.48% और एलआईसी की 30.24% हिस्सेदारी शामिल है। सेबी की यह मंजूरी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे एलआईसी, जो वर्तमान में बैंक में एक प्रमोटर है, निजीकरण के बाद एक सार्वजनिक शेयरधारक बन जाएगी। यह कदम नए खरीदार को बैंक का प्रबंधन नियंत्रण लेने में मदद करेगा, जिससे विनिवेश प्रक्रिया सुगम हो जाएगी।
IDBI बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इस मंजूरी की जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि सेबी ने निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) द्वारा किए गए आवेदन के जवाब में यह अनुमोदन दिया है। इस घोषणा के बाद से IDBI बैंक के शेयर में सकारात्मक वृद्धि देखी गई है।
