Source telegraph India
पडरौना (उत्तर प्रदेश): विपक्षी दलों के इंडिया ब्लॉक ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना पर विचार करना शुरू कर दिया है। यह कदम हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के नतीजों और चुनाव प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए सवालों के बाद आया है।
इंडिया ब्लॉक के नेताओं का आरोप है कि चुनाव आयोग ने सरकार के दबाव में काम किया और कई मौकों पर विपक्षी दलों की शिकायतों को अनसुना कर दिया। उनका कहना है कि मतगणना के दौरान भी कई अनियमितताएं सामने आई हैं, जिनकी आयोग ने संतोषजनक व्याख्या नहीं दी।
इसी क्रम में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज पडरौना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ‘वोट चोरी’ का ‘जीवित प्रमाण’ दिखाने का दावा किया। हालांकि, उन्होंने इस ‘जीवित प्रमाण’ की प्रकृति या विवरण सार्वजनिक नहीं किए, लेकिन उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि चुनावों में धांधली हुई है।
राहुल गांधी ने कहा, “हमने चुनाव आयोग से कई बार शिकायत की, लेकिन उन्होंने हमारी कोई बात नहीं सुनी। अब हमारे पास ऐसे सबूत हैं जो यह साबित करते हैं कि वोटों की चोरी हुई है। इंडिया ब्लॉक इस मामले को आगे बढ़ाएगा और हम सीईसी के खिलाफ महाभियोग लाने पर भी विचार कर रहे हैं।”
इंडिया ब्लॉक के अन्य घटक दलों के नेताओं ने भी राहुल गांधी के दावों का समर्थन किया है और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे इस मुद्दे पर एकजुट हैं और हर संभव मंच पर इसे उठाएंगे।
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इंडिया ब्लॉक के आरोपों को निराधार बताया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी थी और विपक्षी दल अपनी हार को पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी से उनके ‘जीवित प्रमाण’ को सार्वजनिक करने की चुनौती दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इंडिया ब्लॉक वास्तव में सीईसी के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाता है, तो यह देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। हालांकि, इस प्रस्ताव को संसद में पारित कराना विपक्षी दलों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि सरकार के पास बहुमत है।
फिलहाल, इंडिया ब्लॉक के नेता इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठकें कर रहे हैं। सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या विपक्षी दल सीईसी के खिलाफ महाभियोग की दिशा में ठोस कदम उठाते हैं और राहुल गांधी अपने ‘जीवित प्रमाण’ को कब सार्वजनिक करते हैं।
