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नई दिल्ली, 5 मई 2025 — भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के बगलीहार जलविद्युत परियोजना से पाकिस्तान की ओर जाने वाले जल प्रवाह को रोक दिया है, जो कि चिनाब नदी पर स्थित है। यह कदम हाल ही में पवित्र स्थल पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद उठाया गया है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है।
भारत ने 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार थी। इस संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर अधिकार था, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) से जल प्राप्त होता था। बगलीहार बांध से जल प्रवाह रोकने के बाद, पाकिस्तान के सियालकोट के पास चिनाब नदी का जल स्तर काफी घट गया है, जिसे उपग्रह चित्रों के माध्यम से भी देखा गया है।
भारत सरकार ने संकेत दिया है कि वह किशनगंगा और सलाल जैसे अन्य जल परियोजनाओं पर भी इसी तरह के कदम उठा सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की वर्तमान जल संरचना सीमित है, जिससे वह पाकिस्तान की जल आपूर्ति को पूरी तरह से रोक नहीं सकता। फिर भी, जल प्रवाह को नियंत्रित करने से पाकिस्तान की कृषि और ऊर्जा आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है।
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को “युद्ध की कार्यवाही” बताया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इससे पहले भी दोनों देशों के बीच जल विवाद रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब भारत ने संधि को निलंबित कर इस प्रकार का कठोर कदम उठाया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति से क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है और दोनों देशों को संयम बरतने की आवश्यकता है। जल जैसे महत्वपूर्ण संसाधन को कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता।
