Source BBC
नई दिल्ली: भारत सरकार ने उन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि मई में पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष को समाप्त करने के लिए भारत पर किसी तीसरे पक्ष का दबाव था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस के दौरान इस बात पर जोर दिया कि भारत ने अपने सभी उद्देश्यों को प्राप्त करने के बाद ही सैन्य अभियान बंद किया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए स्पष्ट किया कि भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई को किसी बाहरी दबाव में नहीं रोका था। उन्होंने ऐसे सभी सुझावों को “बिल्कुल निराधार” बताया। सिंह ने कहा कि भारत ने यह ऑपरेशन इसलिए रोका क्योंकि संघर्ष से पहले और उसके दौरान निर्धारित सभी राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त कर लिए गए थे। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह कहना कि ऑपरेशन दबाव में बंद किया गया था, निराधार और पूरी तरह से गलत है।”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी मंगलवार को लोकसभा में इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने साफ किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुई थी, जिससे उन अटकलों पर विराम लग गया कि अंतरराष्ट्रीय दबाव ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के चरण में भूमिका निभाई थी। जयशंकर ने बताया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का अनुरोध सीधे पाकिस्तान से सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) चैनल के माध्यम से आया था। उन्होंने यह भी कहा कि “हमारे अमेरिका के साथ हुई बातचीत में व्यापार और सैन्य कार्रवाई के बीच कोई संबंध नहीं था।”
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता की थी। हालांकि, भारत ने इन दावों को लगातार खारिज किया है और कहा है कि यह डी-एस्केलेशन सीधे सैन्य-से-सैन्य संचार का परिणाम था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन घास के मैदान में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में 7 मई को शुरू किया गया था, जिसमें 22 नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच करीब तीन दशकों में सबसे भीषण चार दिवसीय सैन्य संघर्ष हुआ था।
