Source Reuters
मुंबई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत को देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई बड़े और विश्व स्तरीय बैंकों की आवश्यकता है। उन्होंने इस दिशा में काम शुरू होने की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वाणिज्यिक बैंकों के साथ बातचीत कर रही है।
सीतारमण ने मुंबई में आयोजित 12वें एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव-2025 को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने संकेत दिया कि सरकार और आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र के अगले चरण के विकास को आकार देने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इन विकल्पों में मौजूदा बैंकों का एकीकरण (विलय) और नए वित्तीय संस्थानों का निर्माण भी शामिल है।
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा, “भारत को बहुत सारे बड़े बैंक चाहिए, विश्वस्तरीय बैंक चाहिए। इसके लिए हमें रिजर्व बैंक और बैंकों के साथ बैठकर चर्चा करनी होगी कि वे इसे आगे कैसे ले जाना चाहते हैं।”
विलय ही एकमात्र रास्ता नहीं
उन्होंने स्पष्ट किया कि बड़े बैंक बनाने का प्रयास केवल मौजूदा बैंकों के विलय तक ही सीमित नहीं है, हालांकि यह एक रास्ता हो सकता है। उन्होंने कहा, “आपको एक ऐसा इकोसिस्टम और माहौल चाहिए जिसमें अधिक बैंक काम कर सकें और आगे बढ़ सकें।” उनका मानना है कि भारत में यह माहौल अच्छी तरह से स्थापित है, लेकिन इसे और अधिक गतिशील बनाने की जरूरत है।
पहले भी हो चुके हैं बड़े विलय
यह घोषणा सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण के पिछले दौर के बाद आई है। 2017 में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में उसके सहयोगी बैंकों का विलय किया गया था। इसके बाद, अगस्त 2019 में, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय करने की घोषणा की थी, जिससे उनकी कुल संख्या 27 से घटकर 12 रह गई थी।
वित्त मंत्री का यह बयान भारत के वित्तीय क्षेत्र में बड़े सुधारों और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले मजबूत बैंकिंग संस्थानों के निर्माण की दिशा में सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
