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नई दिल्ली: बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान की बढ़ती राजनयिक और सैन्य भागीदारी के बीच, भारत ने पश्चिम बंगाल में स्थित अपने अत्यंत महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी गलियारे—जिसे ‘चिकन नेक’ (Chicken’s Neck) के नाम से जाना जाता है—की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। यह संकीर्ण भू-भाग भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को शेष देश से जोड़ने वाली एकमात्र भूमि कड़ी है, जिसकी सामरिक संवेदनशीलता ने नई दिल्ली की चिंता बढ़ा दी है।
🔥 सुरक्षा बढ़ाने का मुख्य कारण
भारत की सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया समझौते और सहयोग हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों और बांग्लादेश के अंतरिम नेतृत्व के बीच महत्वपूर्ण बैठकें हुई हैं, जिनमें कराची बंदरगाह के उपयोग की अनुमति देने और रक्षा सहयोग बढ़ाने के प्रस्ताव शामिल हैं। इन कदमों को विश्लेषक दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देख रहे हैं।
इसके अलावा, बांग्लादेश के पूर्व कार्यकारी प्रमुख मुहम्मद यूनुस के भारत के नक्शे को विकृत करने और चीन को लालमोनिरहाट एयरबेस के पास रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने का आह्वान करने जैसे बयानों ने भी भारत को सतर्क कर दिया है। ये सभी घटनाक्रम सिलीगुड़ी गलियारे की सुरक्षा के लिए दोहरा खतरा पैदा करते हैं।
🛡️ ‘चिकन नेक’ पर भारत की अभेद्य तैयारी
भारत सरकार ने इस सामरिक गलियारे की रक्षा के लिए एक बहु-स्तरीय रणनीति अपनाई है:
उन्नत सैन्य तैनाती: भारतीय वायु सेना ने हाशिमारा एयरबेस पर राफेल लड़ाकू जेट तैनात किए हैं।
मिसाइल प्रणाली: क्षेत्र में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की एक पूरी रेजिमेंट सक्रिय है।
वायु रक्षा: दुश्मन के हवाई हमलों का मुकाबला करने के लिए, S-400, MRSAM और आकाश मिसाइलें तैनात की गई हैं।
त्रि-सेवा अभ्यास: सुकना स्थित त्रिशक्ति कोर (आर्मी, नेवी, एयर फोर्स) द्वारा लगातार युद्ध अभ्यास किए जा रहे हैं, जिनमें T-90 टैंकों के साथ लाइव फायर ड्रिल्स शामिल हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने भी हाल ही में उत्तर बंगाल का दौरा कर सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की थी, जो इस क्षेत्र को सुरक्षित करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
यह ‘चिकन नेक’ अपनी भौगोलिक संकीर्णता के कारण विशेष रूप से संवेदनशील है, क्योंकि इसका कट जाना पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्य भारत से अलग कर सकता है। भारत की यह त्वरित और मजबूत प्रतिक्रिया चीन-बांग्लादेश धुरी को एक स्पष्ट रणनीतिक चेतावनी है कि किसी भी प्रकार के दुस्साहस का दृढ़ता से जवाब दिया जाएगा।
