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नई दिल्ली, 9 जून 2025: चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट पर अपनी पकड़ और सख्त करने के बीच भारत ने इन महत्वपूर्ण सामग्रियों के वैकल्पिक स्रोतों और तकनीकों की तलाश तेज कर दी है। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोनों, रक्षा उपकरणों और पवन टर्बाइनों जैसे क्षेत्रों के लिए जरूरी होते हैं।
चीन वर्तमान में दुनिया के रेयर अर्थ मैग्नेट का लगभग 90% हिस्सा बनाता है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला उस पर अत्यधिक निर्भर है। हाल ही में बीजिंग ने इन सामग्रियों के निर्यात पर कुछ नए नियंत्रण लागू किए हैं, जिससे भारत और अन्य देशों की चिंता बढ़ गई है।
भारत की रणनीति:
भारत सरकार ने घरेलू स्रोतों की पहचान, रीसाइक्लिंग तकनीकों का विकास और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को प्राथमिकता दी है। भारतीय दुर्लभ खनिज लिमिटेड (IREL) और डिपार्टमेंट ऑफ एटोमिक एनर्जी पहले से ही कुछ खनिजों की पहचान के लिए शोध कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा भारत जापान, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम जैसे देशों के साथ मिलकर वैकल्पिक स्रोत खोजने पर काम कर रहा है।
वैज्ञानिक प्रयास:
आईआईटी मद्रास और आईआईटी खड़गपुर जैसे संस्थानों ने नई तकनीकों पर रिसर्च शुरू किया है, जिससे चीन पर निर्भरता को कम किया जा सके। इसके अंतर्गत सस्ते और अधिक टिकाऊ मैग्नेट के विकल्पों पर काम किया जा रहा है।
उद्योग जगत की चिंता:
ऑटोमोबाइल और रक्षा उद्योगों ने सरकार से आग्रह किया है कि वे आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक भंडारण और दीर्घकालिक निर्यात अनुबंधों पर काम करें। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत इस दिशा में समय रहते आत्मनिर्भर नहीं बना, तो देश की उभरती टेक्नोलॉजी और रक्षा परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
निष्कर्ष:
चीन की बढ़ती एकाधिकारवादी नीतियों के बीच भारत का यह कदम वैश्विक सप्लाई चेन में संतुलन बनाने के लिए अहम माना जा रहा है। आने वाले वर्षों में यदि ये प्रयास सफल होते हैं, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सकता है।
