SOURCE The Hindu
नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज आश्वस्त किया कि रूस से तेल आयात पर संभावित प्रतिबंधों के बावजूद भारत अपनी तेल जरूरतों को सुरक्षित करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी तेल आपूर्ति के स्रोतों में काफी विविधता लाई है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
हाल के दिनों में रूस पर संभावित अतिरिक्त प्रतिबंधों और टैरिफ की चर्चा के बीच, जिसमें भारत जैसे बड़े खरीदारों को भी निशाना बनाया जा सकता है, पुरी का यह बयान महत्वपूर्ण है। अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर “सेकेंडरी सैंक्शन” लगाने की संभावना पर भी बात चल रही है।
पुरी ने स्पष्ट किया, “मुझे बिल्कुल भी चिंता नहीं है। अगर कुछ होता है तो हम उससे निपट लेंगे।” उन्होंने बताया कि भारत ने पहले जहां लगभग 27 देशों से तेल आयात करता था, अब यह संख्या बढ़कर 40 से अधिक हो गई है। यह दर्शाता है कि भारत अब कुछ ही देशों पर अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अत्यधिक निर्भर नहीं है।
मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस से भारत का तेल आयात न केवल आर्थिक रूप से समझदारी भरा कदम रहा है, बल्कि इसने वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक तेल बाजार में रूसी तेल की लगभग 10% हिस्सेदारी है, और यदि इसे आपूर्ति से बाहर कर दिया जाता, तो तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल से ऊपर जा सकती थीं, जिससे दुनिया भर में एक बड़ा संकट पैदा हो जाता।
हरदीप सिंह पुरी ने यह भी बताया कि भारत नए तेल स्रोतों की तलाश में भी सक्रिय है, जिसमें ब्राजील, कनाडा और गुयाना जैसे देश शामिल हैं, जो आपूर्ति बढ़ाने के लिए आगे आ रहे हैं। इसके अलावा, भारत अपने घरेलू तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है, और अंडमान सागर में नए तेल क्षेत्रों की खोज की उम्मीद है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस भारत के कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 40% आपूर्ति करता है, जो यूक्रेन युद्ध से पहले लगभग नगण्य था। भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल खरीद कर अपने आयात बिल को कम करने और घरेलू बाजार में महंगाई को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन ए एस साहनी ने भी पुष्टि की कि यदि रूस से तेल आपूर्ति बाधित होती है, तो भारत उस आपूर्ति व्यवस्था की तरफ लौट सकता है जो यूक्रेन युद्ध से पहले लागू थी, जब रूस से आयात 2% से भी कम था। यह दर्शाता है कि भारत के पास आपात स्थिति के लिए एक सुदृढ़ योजना है।
कुल मिलाकर, सरकार का संदेश स्पष्ट है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर आश्वस्त है और किसी भी वैश्विक भू-राजनीतिक बदलाव का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
