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अमेरिका द्वारा भारतीय दवाइयों और फ़ार्मास्युटिकल उत्पादों पर 100% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले के बाद भारत सरकार ने अपनी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है। केंद्र ने कहा है कि यह निर्णय भारतीय उद्योग और दवा निर्यातकों पर गहरा असर डाल सकता है और संबंधित मंत्रालय इस मुद्दे पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) और वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल अमेरिका के कदम का अध्ययन किया जा रहा है और इसका भारत की फ़ार्मा इंडस्ट्री पर वास्तविक प्रभाव समझने के लिए विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत का फ़ार्मा क्षेत्र अमेरिका को दवा निर्यात पर अत्यधिक निर्भर है। ऐसे में 100% टैरिफ से न केवल भारतीय निर्यात प्रभावित होंगे, बल्कि अमेरिका के उपभोक्ताओं के लिए भी दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। हम इस पूरे मामले की करीबी निगरानी कर रहे हैं।”
भारत दुनिया के सबसे बड़े जेनेरिक दवा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। अमेरिका भारतीय जेनेरिक दवाओं का प्रमुख बाजार है और यहां हर साल अरबों डॉलर का निर्यात किया जाता है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह टैरिफ लंबे समय तक लागू रहता है तो भारत की दवा कंपनियों की आय पर प्रतिकूल असर होगा और वैश्विक सप्लाई चेन भी बाधित हो सकती है।
सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि यदि आवश्यक हुआ तो विश्व व्यापार संगठन (WTO) या द्विपक्षीय वार्ता के ज़रिए इस विवाद का समाधान तलाशा जाएगा।
इस बीच, दवा कंपनियों और निर्यातक संघों ने सरकार से अपील की है कि अमेरिका से इस मसले को उच्चतम स्तर पर उठाया जाए, ताकि भारत की दवा उद्योग को बड़े आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।
