SOURCE The Hindu
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में हमेशा सहजता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अस्थिरता एक सामान्य कारक है। उन्होंने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि क्षेत्रीय गतिशीलता और वैश्विक घटनाओं के कारण उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं।
जयशंकर ने कहा, “हमें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि हमारे पड़ोसी संबंधों में हमेशा सब कुछ सुचारू रूप से चलेगा। अस्थिरता एक वास्तविकता है, और हमें इससे निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति को दोहराया, लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि कुछ देशों के साथ संबंध जटिल हो सकते हैं।
विदेश मंत्री ने विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला जो पड़ोसी संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं, जिनमें आर्थिक दबाव, सुरक्षा मुद्दे और भू-राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत इन चुनौतियों के बावजूद अपने पड़ोसियों के साथ रचनात्मक संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
जयशंकर के इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत अपने कई पड़ोसियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कूटनीतिक लचीलेपन और रणनीतिक धैर्य की आवश्यकता होगी।
