Source HT
अमेरिका में बोइंग कंपनी के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई इस हफ्ते से शुरू होने जा रही है। यह वही मामला है जिसमें 2019 में इथियोपियन एयरलाइंस की फ्लाइट ET302 क्रैश हो गई थी, जिसमें भारत की शिखा गर्ग सहित 157 लोगों की मौत हो गई थी। छह साल बाद यह केस उन परिवारों के लिए न्याय की उम्मीद लेकर आया है जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस भीषण हादसे में खो दिया था।
10 मार्च 2019 को अदीस अबाबा से नैरोबी जा रही बोइंग 737 मैक्स विमान उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में सभी यात्री मारे गए थे। जांच में सामने आया कि विमान के स्वचालित नियंत्रण प्रणाली (MCAS) में खामी थी, जिसे बोइंग ने पहले ही नजरअंदाज किया था।
शिखा गर्ग, जो भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय में कार्यरत थीं, संयुक्त राष्ट्र की एक पर्यावरणीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए केन्या जा रही थीं। उनके पति निपुण गर्ग ने कहा कि “यह सिर्फ मुआवजे का मामला नहीं, बल्कि जवाबदेही तय करने और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने की लड़ाई है।”
अमेरिकी अदालत में अब बोइंग के खिलाफ यह सुनवाई यह तय करेगी कि कंपनी ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी की थी या नहीं। परिवारों के वकील का कहना है कि बोइंग ने जानबूझकर विमान की तकनीकी खामी छिपाई थी ताकि व्यावसायिक नुकसान से बचा जा सके।
बोइंग ने पहले ही हादसे की जिम्मेदारी स्वीकार की थी और 2.5 अरब डॉलर के समझौते की घोषणा की थी, लेकिन कई पीड़ित परिवारों ने यह कहते हुए अदालत का रुख किया कि उन्हें वास्तविक न्याय नहीं मिला है।
अब छह साल बाद, जब यह मामला फिर से अदालत में आया है, तो पीड़ितों के परिवारों को उम्मीद है कि इस बार सच्चाई सामने आएगी और शिखा गर्ग जैसी निर्दोष यात्रियों के लिए न्याय सुनिश्चित होगा।
