Source-The Times of India
ओटावा: कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने शनिवार को 1914 की कोमागाटा मारू घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक “कड़वी याद” है कि कैसे कनाडा ने उस समय अपने नैतिक मूल्यों और मानवता के सिद्धांतों को दरकिनार किया था।
कोमागाटा मारू जहाज़, जिसमें 376 भारतीय सिख, मुस्लिम और हिंदू प्रवासी सवार थे, मई 1914 में वैंकूवर बंदरगाह पहुंचा था। इन लोगों ने कनाडा में शरण लेने की कोशिश की थी, लेकिन नस्लीय भेदभाव और कठोर आव्रजन नीतियों के कारण उन्हें देश में प्रवेश नहीं दिया गया और लगभग दो महीने बाद उन्हें जबरन भारत वापस भेज दिया गया।
पीएम कार्नी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा, “यह घटना हमें हमारे इतिहास के उस अध्याय की याद दिलाती है, जब हमने अपने घोषित मूल्यों जैसे समानता, न्याय और करुणा को पूरा नहीं किया। यह सिर्फ अतीत की गलती नहीं है, बल्कि हमें आज भी यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा अन्याय फिर कभी न हो
कोमागाटा मारू पर सवार प्रवासियों के साथ हुए दुर्व्यवहार को कनाडा में नस्लीय भेदभाव के इतिहास में एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है। 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इसके लिए खेद व्यक्त किया था, और अब पीएम कार्नी ने इसे फिर से रेखांकित करते हुए कहा कि यह “हमारे लिए एक स्थायी चेतावनी है।
