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केरल में सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि से KSEB पर ₹500 करोड़ का बोझ

SOURCE Mathrubhumi

केरल में सौर ऊर्जा उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि, जहाँ एक ओर राज्य की हरित ऊर्जा लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती है, वहीं दूसरी ओर केरल राज्य बिजली बोर्ड (KSEB) के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती बनकर उभरी है। KSEB ने हाल ही में खुलासा किया है कि ग्रिड में सौर ऊर्जा के अनियंत्रित प्रवाह को समायोजित करने में उसे सालाना लगभग ₹500 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा है। यह स्थिति बिजली उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट 19 पैसे का अतिरिक्त प्रभाव डाल रही है, और अनुमान है कि 2034-35 तक यह प्रभाव 40 पैसे प्रति यूनिट तक पहुँच सकता है यदि वर्तमान प्रवृत्तियाँ जारी रहती हैं।

यह मुद्दा केरल राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक सुनवाई के दौरान सामने आया, जहाँ KSEB ने अपनी चिंताओं को विस्तार से प्रस्तुत किया। बोर्ड के अनुसार, दिन के समय में ग्रिड में सौर ऊर्जा का प्रवाह 1,000 मेगावाट को पार कर गया है, जिससे इस विशाल मात्रा को अवशोषित करना और ग्रिड संतुलन बनाए रखना बेहद मुश्किल हो गया है। KSEB द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि “प्रो-कंज्यूमर्स” (बिजली उत्पन्न करने वाले और उसे ग्रिड में निर्यात करने वाले उपभोक्ता) अपनी कुल सौर ऊर्जा उत्पादन का 75.53% ग्रिड को निर्यात करते हैं, जिसमें घरेलू प्रो-कंज्यूमर्स का आंकड़ा 79.21% तक है।

इस अतिरिक्त सौर ऊर्जा को समायोजित करने की लागत कई घटकों से मिलकर बनती है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा प्रवाह को समायोजित करने के लिए दीर्घकालिक अनुबंधों से बिजली को सरेंडर करने से होने वाला नुकसान शामिल है। इसके अलावा, प्रो-कंज्यूमर्स द्वारा दिन के समय में ग्रिड को दी गई बिजली को रात के समय में उच्च लागत पर वापस खरीदना पड़ता है, जिससे KSEB पर वित्तीय दबाव बढ़ता है। KSEB अधिकारियों ने बताया कि दिन में जब सौर ऊर्जा का उत्पादन अधिक होता है, तो बाजार में बिजली की दर कम होती है (लगभग ₹6 प्रति यूनिट), लेकिन रात के चरम घंटों में जब सौर ऊर्जा उपलब्ध नहीं होती, तो उन्हें बाजार से ₹11-₹15 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ती है।

इस वित्तीय संकट को कम करने के लिए, KSEB ने नियामक आयोग से कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। बोर्ड ने ग्रिड को निर्यात की जाने वाली नवीकरणीय ऊर्जा पर ग्रिड सहायता शुल्क (grid support charge) लगाने का प्रस्ताव दिया है, हालांकि आयोग द्वारा प्रस्तावित ₹1 प्रति यूनिट शुल्क को KSEB ने अपर्याप्त बताया है, क्योंकि उनके अनुसार लोड संतुलन, व्हीलिंग और बैंकिंग की वास्तविक लागत ₹7 प्रति यूनिट आती है। KSEB ने सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के लिए अलग-अलग औसत बिजली खरीद लागत (APPC) निर्धारित करने की भी वकालत की है ताकि वास्तविक लागत को प्रतिबिंबित किया जा सके। उन्होंने सौर APPC को ₹2.81 प्रति यूनिट और पवन APPC को ₹3.17 प्रति यूनिट निर्धारित करने का सुझाव दिया है।

यह स्थिति केरल के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक जटिल चुनौती पेश करती है, जहाँ नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और ग्रिड की स्थिरता व वित्तीय व्यवहार्यता बनाए रखने के बीच संतुलन स्थापित करना आवश्यक है।

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