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नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मंगलवार को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए 3-सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की है। यह समिति संबंधित शिकायतों की जांच कर अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंपेगी। बताया जा रहा है कि समिति को सीमित समयसीमा के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, न्यायमूर्ति वर्मा पर कार्यकाल के दौरान कथित कदाचार और आचरण संबंधी नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। लोकसभा में इन आरोपों को लेकर कई सदस्यों ने चिंता जताई थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
समिति में शामिल तीन सदस्यों के नाम भी लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना में बताए गए हैं। इसमें एक वरिष्ठ लोकसभा सदस्य, एक पूर्व न्यायाधीश और एक संवैधानिक विशेषज्ञ को शामिल किया गया है। इनका चयन इस आधार पर किया गया है कि जांच निष्पक्ष, पारदर्शी और तथ्यों पर आधारित हो सके।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “न्यायपालिका देश के लोकतांत्रिक ढांचे का महत्वपूर्ण स्तंभ है और उसके प्रति जनता का विश्वास सर्वोपरि है। ऐसे में किसी भी आरोप की गहन और निष्पक्ष जांच आवश्यक है। समिति इस दिशा में अपनी भूमिका निभाएगी और सत्य सामने लाएगी।”
जांच प्रक्रिया के दौरान समिति को साक्ष्य जुटाने, गवाहों से पूछताछ करने और दस्तावेजों की समीक्षा करने का अधिकार होगा। यदि समिति आरोपों को सही पाती है, तो वह अपने निष्कर्षों के साथ उपयुक्त अनुशंसाएं भी देगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला न केवल न्यायपालिका की साख से जुड़ा है, बल्कि यह एक मिसाल भी पेश करेगा कि लोकतांत्रिक संस्थान पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति कितने गंभीर हैं। वहीं, कुछ कानूनी जानकारों का कहना है कि जांच के दौरान न्यायमूर्ति वर्मा को भी अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन हो सके।
लोकसभा सचिवालय ने स्पष्ट किया है कि समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी और उसके आधार पर आगे की कार्यवाही तय होगी। फिलहाल, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा या उनके प्रतिनिधियों की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस मामले पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी बंटी हुई है। विपक्ष ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया है, जबकि कुछ दलों ने कहा है कि जांच में किसी भी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। आने वाले हफ्तों में यह समिति अपनी जांच शुरू करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी, जिससे पूरे मामले की दिशा तय होगी।
