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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मोइत्रा ने तर्क दिया है कि यह पुनरीक्षण संविधान के कई अनुच्छेदों, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
याचिका में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई है कि एसआईआर से पात्र मतदाताओं के बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित होने की आशंका है, जिससे लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कमजोर पड़ सकते हैं। इसमें कहा गया है कि यह पहली बार है जब ऐसा कोई अभ्यास किया जा रहा है जहां मौजूदा मतदाताओं को अपनी पात्रता फिर से साबित करनी होगी, अक्सर नागरिकता दस्तावेजों, जिसमें माता-पिता की नागरिकता का प्रमाण भी शामिल है, को प्रस्तुत करके। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह आवश्यकता अनुच्छेद 326 का उल्लंघन करती है और बाहरी योग्यताएं पेश करती है।
इसके अतिरिक्त, याचिका में आरोप लगाया गया है कि आदेश मनमाने ढंग से आधार और राशन कार्ड जैसे आमतौर पर स्वीकार किए गए पहचान दस्तावेजों को बाहर करता है, जिससे आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसमें यह भी कहा गया है कि यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की संरचना से मिलता-जुलता है। लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगस्त 2025 से पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह का अभ्यास दोहराया जाना है।
