Source The Tribune
नई दिल्ली: हाल ही में एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक साथ तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि उनकी ‘मुस्कान’ हर अमेरिकी की रीढ़ में सिहरन पैदा कर सकती है। इस रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और शक्ति संतुलन को लेकर बहस छेड़ दी है।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। रिपोर्ट में इन तीनों नेताओं के बीच बढ़ती निकटता और उनके साझा हितों पर जोर दिया गया है, जिसे पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका के लिए चिंता का विषय बताया जा रहा है।
अमेरिकी मीडिया आउटलेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह तस्वीर सिर्फ एक सामान्य मुलाकात से कहीं बढ़कर है। यह एक ऐसे गठबंधन की ओर इशारा करती है जो पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने की क्षमता रखता है। रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि इन देशों के बीच आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक सहयोग गहरा हो रहा है, जो अमेरिका के नेतृत्व वाले विश्व व्यवस्था के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह टिप्पणी अमेरिका की गहरी चिंता को दर्शाती है। यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस और चीन के संबंध मजबूत हुए हैं, और भारत भी अपनी विदेश नीति में स्वायत्तता बनाए रखते हुए इन दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि अमेरिकी मीडिया की यह प्रतिक्रिया थोड़ी अतिरंजित हो सकती है। भारत हमेशा से अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता रहा है और किसी भी गुट का हिस्सा बनने से बचता रहा है। भारत के अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के साथ भी मजबूत संबंध हैं।
बहरहाल, इस रिपोर्ट ने वैश्विक मंच पर उभरती हुई शक्ति संरचनाओं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जटिलताओं को एक बार फिर रेखांकित किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में ये समीकरण किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।
