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पडरौना, उत्तर प्रदेश
डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व सलाहकार पीटर नवारो द्वारा हाल ही में की गई ‘ब्राह्मण मुनाफाखोरी’ (Brahmin profiteering) वाली टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश और बहस छेड़ दी है। नवारो की यह टिप्पणी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर भारत में कुछ वर्गों पर निशाना साधा, भारत और दुनिया भर में भारतीय समुदाय के बीच तीखी प्रतिक्रिया का कारण बनी है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब नवारो ने एक साक्षात्कार के दौरान भारतीय-अमेरिकी राजनेताओं और पेशेवरों पर कटाक्ष करते हुए ‘ब्राह्मण मुनाफाखोरी’ शब्द का इस्तेमाल किया। इस बयान को कई लोगों ने जातिवादी और अपमानजनक बताया है, खासकर ऐसे समय में जब भारत में जाति-आधारित टिप्पणियों को लेकर संवेदनशीलता बहुत अधिक है।
सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रिया:
टिप्पणी के तुरंत बाद, ट्विटर (अब एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करनी शुरू कर दी। हैशटैग #PeterNavarro और #BrahminProfiteering तेजी से ट्रेंड करने लगे। उपयोगकर्ताओं ने नवारो के बयान को भेदभावपूर्ण और अज्ञानतापूर्ण बताते हुए उनकी आलोचना की।
राजनीतिक हस्तियों की आलोचना: कई भारतीय-अमेरिकी राजनेताओं और भारतीय मूल के प्रमुख व्यक्तियों ने नवारो के बयान की निंदा की है। उन्होंने इसे भारतीय समुदाय की विविधता और योगदान को कम आंकने वाला बताया।
सांस्कृतिक संवेदनशीलता का अभाव: आलोचकों का तर्क है कि नवारो की टिप्पणी भारतीय संस्कृति और समाज की गहरी समझ की कमी को दर्शाती है। भारत में ब्राह्मण समुदाय ऐतिहासिक रूप से विभिन्न भूमिकाओं में रहा है और किसी विशेष आर्थिक व्यवहार से जोड़ना अन्यायपूर्ण है।
नस्लीय और जातीय रूढ़िवादिता: कई उपयोगकर्ताओं ने इस टिप्पणी को एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा बताया, जहां पश्चिमी राजनेता और टिप्पणीकार अक्सर अन्य संस्कृतियों के बारे में गलत और रूढ़िवादी धारणाएं रखते हैं।
नवारो का बचाव और स्पष्टीकरण:
हालांकि, कुछ लोगों ने नवारो का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी का उद्देश्य किसी विशिष्ट जाति को निशाना बनाना नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक आर्थिक या राजनीतिक आलोचना थी। लेकिन, अधिकांश लोगों ने इस स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया है और इसे केवल अपने बयान से पीछे हटने का प्रयास बताया है।
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि वैश्विक मंच पर सांस्कृतिक और जातीय संवेदनशीलता कितनी महत्वपूर्ण है। राजनेताओं और सार्वजनिक हस्तियों को अपनी भाषा का प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि वे अनजाने में भी किसी समुदाय या वर्ग की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं।
