नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों में संशोधन करना और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना है।
विधेयक में वक्फ बोर्डों की संपत्ति घोषित करने और उन्हें अपने नियंत्रण में लेने की शक्तियों को सीमित करने का प्रस्ताव है। सभी संपत्ति दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव कर महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा। बोहरा और आगा खानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड स्थापित करने का भी प्रावधान है।
विधेयक में “वक्फ बाय यूज़र” की अवधारणा को हटाने का प्रस्ताव है, जिसके तहत लंबे समय से धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जा रही संपत्तियों को वक्फ माना जाता था। इस कदम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाना है।
विपक्षी दलों ने विधेयक को “कठोर” और संविधान पर हमला करार देते हुए इसका विरोध किया है। विधेयक को व्यापक समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था, जिसने 14 संशोधनों के साथ इसे मंजूरी दे दी है। जेपीसी की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश की गई है, जिससे विधेयक के पारित होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का कहना है कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करने के लिए हैं और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए आवश्यक हैं। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि यह कदम आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए उठाया गया है।
अब, संसद के आगामी सत्र में इस विधेयक पर चर्चा और मतदान होने की संभावना है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकेगा।
