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काबुल/इस्लामाबाद: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के नेता नूर वली महसूद का नाम एक बार फिर इस्लामाबाद के लिए सिरदर्द बन गया है। हाल ही में, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में महसूद को निशाना बनाकर एक हवाई हमला किया था, लेकिन यह हमला विफल रहा। इस विफल हमले के बाद, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच छह दिनों तक भीषण सीमा संघर्ष छिड़ गया, जिससे दोनों देशों के रिश्ते सबसे निचले स्तर पर आ गए।
विफल हवाई हमला और TTP का पलटवार
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को विश्वास था कि उन्हें पिछले सप्ताह तब सफलता मिली, जब काबुल में एक बख्तरबंद टोयोटा लैंड क्रूज़र को निशाना बनाया गया, जिसमें TTP प्रमुख महसूद के होने की आशंका थी। हालांकि, यह हमला विफल रहा। खबरों के मुताबिक, महसूद बच निकले और जल्द ही उनका एक ऑडियो संदेश जारी हुआ, जिसने पाकिस्तान के दावे को सिरे से खारिज कर दिया।
इस विफल कोशिश के तुरंत बाद, दोनों देशों की सीमा पर ** deadly clashes** शुरू हो गए। लगभग एक सप्ताह तक, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बलों ने एक-दूसरे पर तोपखाने और ड्रोन से हमले किए, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए।
कौन हैं नूर वली महसूद?
मौलाना मुफ्ती नूर वली महसूद, जिन्हें अबू मंसूर आसिम के नाम से भी जाना जाता है, 2018 में TTP के प्रमुख बने। वह एक धार्मिक विद्वान हैं और पाकिस्तान के सेमिनारों में प्रशिक्षित हुए हैं।
पुनर्गठन: अपने पूर्ववर्तियों के अमेरिकी ड्रोन हमलों में मारे जाने के बाद, महसूद ने बंटी हुई TTP को फिर से एकजुट किया और उसे एक अनुशासित तथा वैचारिक शक्ति में बदल दिया।
रणनीति में बदलाव: उन्होंने नागरिकों को निशाना बनाने के बजाय, समूह का ध्यान केवल पाकिस्तानी सेना और पुलिस पर केंद्रित किया। इस कदम का उद्देश्य जनजातीय समुदायों के बीच समूह की छवि को सुधारना था।
अफगान तालिबान से संबंध: 2021 में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद TTP को अफगानिस्तान की धरती पर अधिक गतिशीलता और हथियार तक पहुंच मिली, जिससे पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को खतरा बढ़ गया।
पाकिस्तान का गुस्सा: शरण और अस्थिरता
पाकिस्तान का मुख्य आरोप यह है कि अफगान तालिबान TTP को अपनी जमीन पर शरण दे रहा है, जहां से महसूद की अगुवाई में TTP लगातार anti-Pakistan attacks कर रहा है, खासकर खैबर पख्तूनख्वा में।
महसूद पर संयुक्त राष्ट्र की अल-कायदा प्रतिबंध समिति ने भी आतंकवादी कृत्यों के “वित्तपोषण, योजना और उन्हें अंजाम देने” के लिए सूचीबद्ध किया हुआ है।
एक विफल हमला और उसके बाद हुआ यह छह दिवसीय सीमा संघर्ष महसूद के प्रभाव को दर्शाता है। एक समय में भगोड़ा समझा जाने वाला यह शख्स अब पाकिस्तान को दशकों के सबसे बड़े सीमा संकटों में से एक में धकेलने में कामयाब रहा है।
फिलहाल, संघर्षविराम से तनाव कुछ कम हुआ है, लेकिन महसूद की निरंतर उपस्थिति इस्लामाबाद और काबुल के बीच भविष्य के संबंधों के लिए एक बड़ा खतरा बनी हुई है।
