Source Deccan Herald
नई दिल्ली – हाल ही में, पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के ‘आधी दुनिया’ को तबाह करने वाले बयान ने भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल मचा दी है। मुनीर ने यह चेतावनी भारत की ओर से कथित ‘अस्तित्वगत खतरे’ के जवाब में दी थी, जिसे भारत के विदेश मंत्रालय ने ‘गैर-जिम्मेदाराना परमाणु धमकी’ करार दिया है। हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं वास्तव में ऐसी किसी धमकी को पूरा करने में सक्षम हैं, या यह सिर्फ एक दिखावा है?
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2025 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं। वह अपने परमाणु शस्त्रागार का लगातार आधुनिकीकरण कर रहा है और हवा, जमीन तथा समुद्र से हमला करने वाले पूर्ण परमाणु त्रिकोण (Nuclear Triad) को विकसित करने की कोशिश में है। उसकी सबसे उन्नत मिसाइल, शाहीन-3 की मारक क्षमता 2,750 किलोमीटर है। यह मिसाइल भारत के पूरे हिस्से और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों को निशाना बना सकती है, लेकिन यूरोप, पूर्वी एशिया या उत्तरी अमेरिका तक पहुंचना उसके लिए संभव नहीं है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि मुनीर का ‘आधी दुनिया’ को तबाह करने का दावा एक अतिशयोक्ति है जो भौतिकी के नियमों को चुनौती देती है। हालाँकि, इस अतिरंजित धमकी के बावजूद, पाकिस्तान का अपने परमाणु शस्त्रागार का लगातार आधुनिकीकरण करना क्षेत्रीय निवारण (deterrence) को बनाए रखने की उसकी मंशा को दर्शाता है। इससे दक्षिण एशिया में परमाणु खतरा और भी गहरा हो गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह बयान मुख्य रूप से घरेलू और क्षेत्रीय दर्शकों को संबोधित करने के लिए था, ताकि वह अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर सके। भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, ऐसी धमकियाँ स्थिति को और अधिक अस्थिर बना सकती हैं। इस तरह की बयानबाजी से न केवल दोनों देशों के बीच बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए खतरा पैदा होता है।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि परमाणु हथियारों से लैस राष्ट्रों के बीच संवाद और संयम कितना महत्वपूर्ण है। किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी या ग़लत गणना के परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। इसलिए, जहां पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमताओं का विस्तार कर रहा है, वहीं वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी बयानबाजी को गंभीरता से लिया जाए, लेकिन साथ ही यह भी समझना होगा कि वास्तविक क्षमताएं और राजनीतिक दिखावा दोनों अलग-अलग चीजें हैं।
