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नई दिल्ली: एशिया कप 2025 में भारत से हारने के बाद, पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने एक ऐसा ‘सेल्फ-गोल’ किया, जिसकी गूंज पूरे टूर्नामेंट में सुनाई दी। भारत के खिलाफ मैच के बाद भारतीय खिलाड़ियों से हाथ न मिलाने के विवाद पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने जो बेवजह का तमाशा खड़ा किया, वह एक pointless ‘पावरप्ले’ साबित हुआ, जिसने सिर्फ पाकिस्तान की ही किरकिरी करवाई।
भारत-पाकिस्तान के बीच दुबई में खेले गए मैच के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया, जिससे पीसीबी भड़क गया। उसने इसे ‘खेल भावना के खिलाफ’ बताते हुए मैच रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट को हटाने की मांग कर डाली। पीसीबी का आरोप था कि पायक्रॉफ्ट ने ही दोनों टीमों के कप्तानों को टॉस के समय हाथ मिलाने से रोका था। हालांकि, आईसीसी ने पाकिस्तान की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
आईसीसी के इस रुख के बाद पीसीबी ने और भी बड़ा कदम उठाया। उसने यूएई के खिलाफ अपने अगले मैच से हटने की धमकी दे दी। टीम को होटल में ही रोक दिया गया, जिससे मैच एक घंटे की देरी से शुरू हुआ। इस पूरे ड्रामे के दौरान पाकिस्तान ने आईसीसी और एसीसी का दरवाजा खटखटाया, लेकिन दोनों ही संस्थानों ने उसकी एक न सुनी। आखिर में भारी वित्तीय नुकसान और अंतरराष्ट्रीय किरकिरी से बचने के लिए पाकिस्तान को झुकना पड़ा और टीम यूएई के खिलाफ मैच खेलने के लिए स्टेडियम पहुंची।
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर राशिद लतीफ जैसे कई विशेषज्ञों ने भी पीसीबी के इस रुख की आलोचना की। उन्होंने कहा कि आईसीसी के नियमों में खिलाड़ियों के लिए हाथ मिलाना कोई अनिवार्य नियम नहीं है। पीसीबी को अगर कोई शिकायत करनी थी, तो वह भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव के मैच जीतने के बाद भारतीय सेना को जीत समर्पित करने वाले बयान पर कर सकता था, न कि एक ऐसी चीज पर, जो नियम ही नहीं है।
यह विवाद एक बार फिर इस बात को उजागर करता है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड खेल से ज्यादा राजनीति और अनावश्यक विवादों में उलझने में दिलचस्पी रखता है। यह ‘हाथ न मिलाने’ का विवाद एक तरह से पाकिस्तान का अपना ही ‘ओपन-गोल’ था, जिसने खेल के मैदान में उनकी हार के बाद उनकी कूटनीतिक और संगठनात्मक कमजोरी को भी दुनिया के सामने ला दिया।
