पुणे के स्वारगेट बस स्टैंड पर हाल ही में एक 26 वर्षीय युवती के साथ सरकारी बस में दुष्कर्म की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, “निर्भया मामले के बाद कानूनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए, लेकिन ऐसी घटनाएं अभी भी हो रही हैं, जो हमारे समाज के लिए चिंताजनक है।”
घटना का विवरण
मंगलवार सुबह करीब 5:45 बजे, पीड़िता सतारा जिले के फलटण जाने के लिए स्वारगेट बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रही थी। इसी दौरान, एक व्यक्ति ने उसे ‘दीदी’ कहकर संबोधित किया और बताया कि फलटण की बस दूसरे स्टैंड से जाएगी। उसने पीड़िता को एक खाली ‘शिवशाही’ एसी बस में ले जाकर दुष्कर्म किया और फिर फरार हो गया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से आरोपी की पहचान दत्तात्रेय गाडे के रूप में की है और उसे पकड़ने के लिए आठ टीमें गठित की हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इसे “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण, दर्दनाक और शर्मनाक” करार दिया। उन्होंने कहा, “आरोपी को मौत की सजा से कम कोई दंड नहीं मिलना चाहिए।” मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
महिला आयोग की मांग
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए पुलिस अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मामले की जांच निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से हो, ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके।
सुरक्षा उपायों की समीक्षा
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने घटना के बाद स्वारगेट बस स्टैंड पर तैनात सभी 23 सुरक्षा गार्डों को हटाने और नए गार्डों की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं। साथ ही, महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गुरुवार को एक आपात बैठक बुलाई गई है, जिसमें ठोस निर्णय लिए जाने की उम्मीद है।
समाज के लिए संदेश
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने अपने बयान में समाज से अपील की है कि महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाई जाए और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा, “कानून अपने स्थान पर हैं, लेकिन समाज की मानसिकता में बदलाव आवश्यक है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।”
यह घटना एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करती है कि निर्भया कांड के बाद किए गए कानूनी सुधारों के बावजूद, जमीनी स्तर पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और क्या
कदम उठाए जाने चाहिए।
