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आरबीआई ने पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए जारी किए नए दिशानिर्देश

Source Live mint

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेमेंट एग्रीगेटर्स (PA) के लिए नए और सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसका उद्देश्य देश में डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इन दिशानिर्देशों के तहत, गैर-बैंक पेमेंट एग्रीगेटर्स को आरबीआई से प्राधिकरण प्राप्त करना अनिवार्य होगा और उन्हें कड़ी वित्तीय तथा परिचालन मानदंडों का पालन करना होगा।

न्यूनतम नेटवर्थ (Net Worth) की आवश्यकता

नए नियमों के अनुसार, किसी भी गैर-बैंक इकाई को पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए आवेदन करते समय ₹15 करोड़ का न्यूनतम नेटवर्थ होना चाहिए। इसके अलावा, प्राधिकरण प्राप्त होने के तीसरे वित्तीय वर्ष के अंत तक उन्हें अपना नेटवर्थ बढ़ाकर ₹25 करोड़ करना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि इसके बाद भी न्यूनतम ₹25 करोड़ का नेटवर्थ हमेशा बना रहे। जो इकाइयां इन मानदंडों का पालन नहीं करेंगी, उन्हें 28 फरवरी, 2026 तक अपना कारोबार बंद करना होगा।

क्रॉस-बॉर्डर (Cross-Border) लेनदेन पर नियम

आरबीआई ने क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट एग्रीगेटर्स (PA-CB) के लिए भी विशिष्ट नियम बनाए हैं। अब, इन एग्रीगेटर्स के माध्यम से होने वाले प्रत्येक आयात या निर्यात लेनदेन की अधिकतम सीमा ₹25 लाख प्रति यूनिट तय की गई है। इसके अलावा, इन एग्रीगेटर्स को अपने घरेलू और विदेशी लेनदेन से संबंधित फंड्स को अलग-अलग एस्क्रो खातों (escrow accounts) में रखना होगा, जिससे फंड्स का मिश्रण न हो।

अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

वर्गीकरण: आरबीआई ने पेमेंट एग्रीगेटर्स को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है: ऑनलाइन (PA-O), फिजिकल (PA-P), और क्रॉस-बॉर्डर (PA-CB)।

व्यापारी सत्यापन (Merchant Vetting): पेमेंट एग्रीगेटर्स को अब अपने व्यापारियों का कठोर KYC (Know Your Customer) और पृष्ठभूमि सत्यापन (background check) करना होगा। यह धोखाधड़ी और अनधिकृत गतिविधियों को रोकने में मदद करेगा।

विवाद निवारण तंत्र (Dispute Resolution): सभी पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए एक प्रभावी और समयबद्ध विवाद निवारण नीति बनाना अनिवार्य है, जिससे ग्राहकों की शिकायतों का तुरंत निपटारा किया जा सके।

डेटा सुरक्षा: दिशानिर्देशों में मजबूत डेटा सुरक्षा उपायों और धोखाधड़ी का पता लगाने और उसे रोकने के लिए प्रणालियों को लागू करने का भी प्रावधान है।

आरबीआई का यह कदम तेजी से बढ़ते डिजिटल भुगतान क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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