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तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से इन सेक्टर्स और स्टॉक्स को हो सकता है सबसे ज्यादा नुकसान

SOURCE MoneyControl

नई दिल्ली: वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों के लिए चिंता का कारण बन गई है। विशेष रूप से उन उद्योगों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है जिनका लागत ढांचा तेल और ईंधन पर आधारित है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक ऊंची बनी रहीं, तो कुछ प्रमुख सेक्टर और स्टॉक्स को भारी नुकसान हो सकता है।

सबसे अधिक प्रभावित सेक्टर्स:

1. एविएशन सेक्टर:

हवाई यात्रा की लागत का बड़ा हिस्सा फ्यूल पर निर्भर होता है। इंडिगो, स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस की परिचालन लागत में सीधा इज़ाफा हो सकता है जिससे उनके मार्जिन घट सकते हैं।

2. ऑटोमोबाइल सेक्टर:

वाहन निर्माता कंपनियां जैसे मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा को भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उपभोक्ता हाई फ्यूल प्राइस के चलते नई गाड़ियों की खरीद को टाल सकते हैं।

3. लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन:

ट्रकिंग और माल परिवहन सेवाएं संचालित करने वाली कंपनियां जैसे ब्लू डार्ट और टीसीआई एक्सप्रेस को उच्च डीजल दरों के कारण लागत बढ़ने का सामना करना पड़ सकता है।

4. पेंट और केमिकल इंडस्ट्री:

एशियन पेंट्स और बर्जर पेंट्स जैसी कंपनियां जो पेट्रोलियम डेरिवेटिव्स का उपयोग करती हैं, उन्हें भी उच्च इनपुट कॉस्ट का झटका लग सकता है।

5. विद्युत उत्पादन कंपनियां (जिन्हें थर्मल पावर पर निर्भरता है):

कोयले और तेल पर आधारित पावर प्लांट्स चलाने वाली कंपनियों की लागत में इज़ाफा हो सकता है जिससे उनका लाभ घट सकता है।

किन स्टॉक्स को हो सकता है असर?

विशेषज्ञों के मुताबिक, इंडिगो (InterGlobe Aviation), मारुति सुजुकी, एशियन पेंट्स, टीसीआई एक्सप्रेस और बर्जर पेंट्स जैसे स्टॉक्स पर निवेशकों को नजर रखनी चाहिए क्योंकि इन पर कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव का सीधा असर पड़ता है।

क्या कहते हैं विश्लेषक?

आईसीआईसीआई डायरेक्ट के एक रिपोर्ट के अनुसार, “अगर ब्रेंट क्रूड 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बना रहता है, तो अगले 1-2 तिमाहियों में मिडकैप उपभोक्ता कंपनियों और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को दबाव झेलना पड़ सकता है।”

निष्कर्ष:

हालांकि सरकार की टैक्स नीति और सब्सिडी सहायता कुछ राहत दे सकती है, फिर भी लगातार बढ़ती तेल कीमतें निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय बन सकती हैं। ऐसे में पोर्टफोलियो में विविधता बनाए रखना और जोखिम वाले सेक्टर्स में सतर्क रहना जरूरी होगा।

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