भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.93 के स्तर पर पहुंचकर तीन सप्ताह के उच्चतम स्तर पर आ गया है। यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ आयातों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की है। आइए जानते हैं, किन कारकों ने घरेलू मुद्रा को इस मजबूती में समर्थन दिया है।
ट्रंप टैरिफ के बीच रुपया तीन सप्ताह के उच्चतम स्तर
1. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का सक्रिय हस्तक्षेप
RBI ने रुपये की विनिमय दर को स्थिर रखने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रिय हस्तक्षेप किया है। पिछले कुछ महीनों में, केंद्रीय बैंक ने डॉलर की बिक्री के माध्यम से रुपये की अत्यधिक गिरावट को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह हस्तक्षेप रुपये की स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की वापसी
हाल के सप्ताहों में, भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की वापसी देखी गई है। FPI द्वारा निवेश बढ़ाने से विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ी है, जिससे रुपये को समर्थन मिला है। यह प्रवृत्ति रुपये की मजबूती में सहायक रही है।
3. वैश्विक बाजार में डॉलर की कमजोरी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर की कमजोरी भी रुपये की मजबूती का एक प्रमुख कारण है। डॉलर इंडेक्स में गिरावट से अन्य मुद्राओं के मुकाबले डॉलर कमजोर हुआ है, जिससे रुपये को लाभ हुआ है।
4. कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता
कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता से भारत के आयात बिल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कम आयात खर्च से चालू खाता घाटा नियंत्रित रहता है, जो रुपये की स्थिरता में योगदान देता है।
5. मजबूत आर्थिक संकेतक
देश के आर्थिक संकेतक, जैसे जीडीपी वृद्धि दर और औद्योगिक उत्पादन में सुधार, निवेशकों के विश्वास को बढ़ा रहे हैं। यह विश्वास रुपये की मांग को बढ़ाता है, जिससे उसकी विनिमय दर में सुधार होता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए टैरिफ लगाए जाने के बावजूद, भारतीय रुपये ने 86.93 के स्तर पर पहुंचकर मजबूती दिखाई है। RBI का सक्रिय हस्तक्षेप, विदेशी निवेशकों की वापसी, डॉलर की कमजोरी, कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और मजबूत आर्थिक संकेतक जैसे कारकों ने रुपये को समर्थन प्रदान किया है। आने वाले दिनों में, यदि ये कारक स्थिर रहते हैं, तो रुपये की मजबूती जारी रह सकती है।
