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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों— रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil)— पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद वैश्विक तेल व्यापार में व्यवधान के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं। एक रूसी कच्चा तेल टैंकर, जो भारत के लिए रवाना हुआ था, ने अचानक बाल्टिक सागर में यू-टर्न ले लिया है और अब वहीं पर खड़ा (Idling) है।
🚢 टैंकर के रास्ते में अचानक बदलाव
शिप-ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म के आंकड़ों के अनुसार, यह टैंकर रूस के प्रिमॉर्स्क बंदरगाह से लगभग 7,30,000 बैरल यूराल क्रूड लेकर भारत में गुजरात के सिक्का बंदरगाह की ओर जा रहा था। हालांकि, डेनमार्क जलडमरूमध्य में पहुंचने से पहले ही इसने अपना रास्ता बदल लिया और अब बाल्टिक सागर में निष्क्रिय है। इस घटना को अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत और रूस के बीच तेल व्यापार में संभावित रुकावट के रूप में देखा जा रहा है।
⚠️ भारतीय रिफाइनरियों पर दबाव
रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries): रूस की सबसे बड़ी तेल खरीदार, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने संकेत दिया है कि वह प्रतिबंधों का पालन करने के लिए अपनी खरीद योजनाओं में बदलाव करेगी और मध्य पूर्वी देशों से तेल की खरीद बढ़ा रही है।
सरकारी रिफाइनरी: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) जैसी सरकारी तेल कंपनियां भी अमेरिकी प्रतिबंधों वाली रूसी कंपनियों से तेल खरीदने में सावधानी बरत रही हैं।
💰 प्रतिबंधों की समय सीमा
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, इन प्रतिबंधित कंपनियों से जुड़े लेनदेन को 21 नवंबर तक खत्म (Wind-down) करना होगा। यह समय सीमा भारतीय रिफाइनरियों के लिए कम कीमत पर रूसी कच्चे तेल तक पहुंच को बाधित कर सकती है, जिससे भारत की ऊर्जा लागत पर असर पड़ने की आशंका है।
