SOURCE The Hindu
नई दिल्ली: भौतिकी के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए, वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक प्रकाश को एक ऐसी अवस्था में ‘जमा’ दिया है जिसे ‘सुपरसॉलिड’ के रूप में जाना जाता है। इस आश्चर्यजनक प्रयोग को एक विशेष सेटअप का उपयोग करके अंजाम दिया गया, जिसे शोधकर्ताओं ने ‘क्वांटम थिएटर’ का नाम दिया है, जो क्वांटम यांत्रिकी के जटिल नियमों का फायदा उठाता है।
यह उपलब्धि पारंपरिक सोच को चुनौती देती है कि प्रकाश केवल एक तरंग या कण के रूप में यात्रा करता है। सुपरसॉलिड वह अवस्था है जो एक साथ तरल और ठोस दोनों के गुण प्रदर्शित करती है – यानी इसमें क्रिस्टलीय संरचना होती है लेकिन फिर भी यह बिना किसी घर्षण के प्रवाहित हो सकती है। प्रकाश को इस अवस्था में लाना अपने आप में एक चौंकाने वाली खोज है।
वैज्ञानिकों ने अपने ‘क्वांटम थिएटर’ में परमाणुओं की एक विशेष व्यवस्था और लेजर प्रकाश का उपयोग किया। उन्होंने प्रकाश कणों (फोटॉन) को इस तरह से नियंत्रित किया कि वे एक पैटर्न में व्यवस्थित हो गए, जैसे कि वे एक ठोस क्रिस्टल का हिस्सा हों, फिर भी वे अपनी तरलता बनाए रखने में सक्षम थे। यह प्रभाव क्वांटम इंटरैक्शन के माध्यम से प्राप्त किया गया था, जहां फोटॉन एक दूसरे के साथ और परमाणुओं के साथ इस तरह से बातचीत कर रहे थे जो उनके सामान्य व्यवहार को बदल देता है।
इस खोज के कई दूरगामी निहितार्थ हो सकते हैं। यह क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम सूचना के क्षेत्र में नए रास्ते खोल सकता है, जहां प्रकाश का उपयोग डेटा को स्टोर और संसाधित करने के लिए किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यह हमें प्रकाश और पदार्थ के बीच मौलिक इंटरैक्शन की हमारी समझ को गहरा करने में मदद करेगा, जिससे नई तकनीकों और सामग्रियों का विकास हो सकता है।
शोध दल ने जोर दिया कि यह अभी शुरुआती चरण है, लेकिन प्रकाश के सुपरसॉलिड गुणों का अध्ययन करने से हमें क्वांटम दुनिया के कुछ सबसे गूढ़ रहस्यों को उजागर करने में मदद मिल सकती है। यह उपलब्धि क्वांटम भौतिकी की असीमित संभावनाओं का एक प्रमाण है और भविष्य में और भी रोमांचक खोजों का मार्ग प्रशस्त करती है।
