Source The Economics Times
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का एक पैनल इंडेक्स डेरिवेटिव्स में इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सख्त सीमाएं लगाने पर विचार कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में अत्यधिक अस्थिरता को कम करने और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से यह कदम उठाया जा सकता है।
पैनल इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या इंडेक्स जैसे निफ्टी और बैंक निफ्टी के फ्यूचर और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमतों में एक निश्चित अवधि के भीतर होने वाली अधिकतम और न्यूनतम मूवमेंट को सीमित किया जाए। वर्तमान में, इस तरह की कोई सीधी इंट्राडे सीमा लागू नहीं है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पैनल का मानना है कि कुछ मौकों पर इंडेक्स डेरिवेटिव्स में अप्रत्याशित और तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, जिससे छोटे निवेशक अक्सर नुकसान उठाते हैं। सख्त सीमाएं इस तरह की अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
हालांकि, कुछ बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की सीमाएं बाजार की दक्षता को कम कर सकती हैं और लिक्विडिटी को प्रभावित कर सकती हैं। उनका तर्क है कि बाजार की ताकतें कीमतों को निर्धारित करने दें और निवेशकों को जोखिम प्रबंधन के लिए बेहतर उपकरण प्रदान किए जाने चाहिए।
सेबी ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। पैनल की सिफारिशों पर विचार करने के बाद नियामक अंतिम निर्णय लेगा। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो भारतीय डेरिवेटिव बाजार में ट्रेडिंग के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है।
