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अमेरिका ने भारत में अपने नए राजदूत के रूप में रिपब्लिकन रणनीतिकार और प्रकाशक सर्जियो गोर को चुनने का निर्णय लिया है। गोर, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी रहे हैं, हाल ही में व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ सलाहकार द्वारा ‘स्नेक’ (साँप) कहे जाने के कारण सुर्खियों में रहे। बताया जाता है कि उन्होंने ट्रंप और एलन मस्क के बीच बढ़ते मतभेदों में अहम भूमिका निभाई थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, व्हाइट हाउस के अधिकारियों का मानना है कि गोर ने दोनों दिग्गजों के बीच अविश्वास और आरोप-प्रत्यारोप का माहौल खड़ा किया। इसी कारण उन्हें ट्रंप-मस्क विवाद का “ईंधन” कहा गया। इस विवाद ने न केवल अमेरिकी राजनीति बल्कि टेक्नोलॉजी और बिजनेस जगत में भी हलचल मचाई थी।
सर्जियो गोर एक लंबे समय से रिपब्लिकन राजनीति से जुड़े रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राज्य सीनेट में काम किया है और ट्रंप प्रशासन के दौरान विभिन्न रणनीतिक भूमिकाएँ निभाईं। गोर ने प्रकाशन उद्योग में भी अपनी पहचान बनाई और कई कंजरवेटिव विचारधारा वाली किताबों का प्रकाशन किया।
भारत में अमेरिकी राजदूत का पद लंबे समय से खाली था, और अब गोर की नियुक्ति को दोनों देशों के बीच रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि गोर की विवादित छवि और उनकी राजनीतिक निष्ठा, कूटनीतिक भूमिका में बाधा बन सकती है।
भारत और अमेरिका वर्तमान समय में रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग के नए अध्याय लिख रहे हैं। ऐसे में गोर के सामने चुनौती होगी कि वे अपने राजनीतिक अतीत और आलोचनाओं से ऊपर उठकर भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर गोर सफलतापूर्वक अपनी कूटनीतिक जिम्मेदारियों को निभा पाए, तो यह दोनों देशों के बीच साझेदारी को और सशक्त करेगा। परंतु अगर उनका विवादित अतीत हावी हो गया, तो भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव भी आ सकता है।
