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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपनी पार्टी से अलग राय रखते नजर आए हैं। इस बार उनका मतभेद आपराधिक मामलों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने के लिए लाए गए विधेयक को लेकर है। जहां कांग्रेस इस विधेयक को “तानाशाही” और “अलोकतांत्रिक” बता रही है, वहीं थरूर ने इसे “सामान्य ज्ञान” करार दिया है।
क्या है विधेयक और कांग्रेस का रुख?
केंद्र सरकार ने हाल ही में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया है। इस विधेयक में प्रावधान है कि यदि किसी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को 5 साल या उससे अधिक की सजा वाले किसी आपराधिक मामले में 30 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में या जेल में रहना पड़ता है, तो 31वें दिन उनका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।
कांग्रेस पार्टी ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। पार्टी का मानना है कि इसका दुरुपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे “कठोर” और “असंवैधानिक” बताया है। उन्होंने तर्क दिया कि यह लोकतंत्र के लिए खतरा है, क्योंकि किसी भी नेता पर झूठे आरोप लगाकर उसे जेल भेजा जा सकता है और उसकी कुर्सी छीनी जा सकती है।
शशि थरूर की राय
कांग्रेस के रुख के विपरीत, शशि थरूर ने इस विधेयक का समर्थन किया है। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, “अगर आप 30 दिन जेल में बिताएं, तो क्या आप मंत्री बने रह सकते हैं? यह सामान्य ज्ञान की बात है। मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस विधेयक को संसदीय समिति के पास भेजा जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है, क्योंकि इससे इस पर विस्तृत चर्चा हो सकेगी।
थरूर के इस बयान से पार्टी के भीतर असहजता बढ़ गई है। यह पहली बार नहीं है जब थरूर ने किसी मुद्दे पर पार्टी लाइन से अलग राय रखी है। इससे पहले भी वह कई मुद्दों पर पार्टी से अलग स्टैंड ले चुके हैं, जिससे कांग्रेस को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है।
यह वीडियो शशि थरूर और कांग्रेस के बीच चल रहे मतभेदों पर बात करता है, खासकर हाल ही में हुए एक उपचुनाव में प्रचार को लेकर।
