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नई दिल्ली: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर चल रहा भीषण संघर्ष अब दो प्राचीन शिव मंदिरों, प्रसाट प्रेह विहार और प्रसाट ता मुएन थोम, को लेकर और गहरा गया है। दोनों देशों के बीच तोप और रॉकेट हमले हो रहे हैं, जिसमें F-16 लड़ाकू विमानों का भी इस्तेमाल किया गया है। इस तनाव में अब तक कम से कम 9 लोगों के मारे जाने की खबर है।
प्रसाट प्रेह विहार: 100 साल से विवाद का केंद्र
कंबोडिया-थाईलैंड सीमा पर डैंगरेक पहाड़ी पर स्थित प्रसाट प्रेह विहार एक 11वीं सदी का प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण खमेर साम्राज्य के दौरान हुआ था। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि दोनों देशों के लिए राष्ट्रीय गौरव और संप्रभुता का प्रतीक बन गया है।
इस मंदिर को लेकर करीब 100 साल से विवाद चल रहा है। 1962 में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने फैसला सुनाया था कि यह मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र का हिस्सा है। थाईलैंड ने इस फैसले को स्वीकार तो कर लिया था, लेकिन मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अपना दावा बरकरार रखा। 2008 में यूनेस्को ने प्रेह विहार को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया, जिसने एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया। 2013 में ICJ ने अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र पर कंबोडिया की संप्रभुता की पुष्टि की, लेकिन थाईलैंड अभी भी इस पर विवाद करता है।
प्रसाट ता मुएन थोम: प्राचीन खमेर विरासत का प्रतीक
प्रसाट ता मुएन थोम भी एक प्राचीन खमेर-हिंदू मंदिर है, जो थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा के पास स्थित है। 12वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित था और इसे खमेर शासक राजा उदयदित्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में बनाया गया था। यह प्रसाट ता मुएन समूह का सबसे बड़ा और सबसे पुराना ढांचा है, जिसमें दो अन्य धार्मिक स्थल भी शामिल हैं।
हाल के संघर्षों में ता मुएन थोम मंदिर के आसपास भी हमले हुए हैं। थाईलैंड का दावा है कि यह मंदिर उसके सुरिन प्रांत का हिस्सा है, जबकि कंबोडिया इसे अपनी सीमा में बताता है। यह मंदिर उस प्राचीन खमेर राजमार्ग पर स्थित है जो अंकोर (कंबोडिया) को फिमाई (थाईलैंड) से जोड़ता है, जिससे इसकी रणनीतिक महत्ता और बढ़ जाती है।
वर्तमान स्थिति और तनाव की जड़
ताजा झड़पों की शुरुआत थाईलैंड द्वारा ता मुएन थोम मंदिर के ऊपर एक कंबोडियाई ड्रोन देखने के दावे के बाद हुई। इसके बाद सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी, रॉकेट हमले और हवाई हमले हुए। दोनों देश एक-दूसरे पर आक्रामकता और सीमा उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। राजनयिक संबंध भी तनावपूर्ण हो गए हैं, दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को निष्कासित कर दिया है।
यह संघर्ष केवल मंदिरों के स्वामित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच सदियों पुराने सीमा विवाद, ऐतिहासिक दावों और राष्ट्रवाद की भावनाओं से भी जुड़ा है। दोनों पक्ष 1907 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान खींची गई सीमा रेखाओं पर सवाल उठाते हैं, जिससे यह क्षेत्र लगातार तनाव का केंद्र बना हुआ है।
