Source Nar and Bench
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा है कि उनका नाम वैश्विक स्तर पर तब जाना गया जब उन्होंने आवारा कुत्तों से जुड़े एक मामले की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि यह मामला उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने उनके करियर को एक नई दिशा दी।
जस्टिस नाथ का बयान
जस्टिस विक्रम नाथ ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि, ‘जब मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट में था, मैंने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की थी, जो आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से संबंधित थी। इस मामले में मेरे द्वारा दिए गए फैसले ने मुझे देश और विदेश दोनों में पहचान दिलाई।’ उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में उनके फैसले को कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने भी कवर किया था।
मामले का महत्व
जस्टिस नाथ के अनुसार, यह मामला सिर्फ आवारा कुत्तों के बारे में नहीं था, बल्कि पशु कल्याण, सार्वजनिक सुरक्षा और नागरिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन स्थापित करने के बारे में भी था। उन्होंने अपने फैसले में स्थानीय अधिकारियों को आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए दिशानिर्देश जारी करने का आदेश दिया था। इसके अलावा, उन्होंने पशु प्रेमियों और आम नागरिकों के बीच समन्वय बनाने पर भी जोर दिया था।
वैश्विक पहचान
जस्टिस नाथ ने कहा कि इस फैसले के बाद उन्हें विभिन्न देशों के कानूनी विशेषज्ञों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं से सराहना मिली। उन्होंने कहा, ‘मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मेरे फैसले का उल्लेख जापान और जर्मनी जैसे देशों में भी किया गया था।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले ने उन्हें मानवीय दृष्टिकोण से कानून को देखने का मौका दिया, जो उनके न्यायिक करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण था।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नाथ ने कहा कि ऐसे मामले न्यायिक प्रणाली के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को सामाजिक समस्याओं को हल करने में एक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पशु अधिकार और पर्यावरण संरक्षण अब वैश्विक एजेंडे का हिस्सा बन गए हैं और हमें इस दिशा में और भी काम करने की जरूरत है।
