Bar and bench
उच्चतम न्यायालय ने आवारा कुत्तों को लेकर अपने पहले के आदेश में बदलाव किया है. अब, आवारा कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के बाद आश्रयों से छोड़ा जा सकेगा, लेकिन उन्हें सड़कों पर खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी. यह फैसला पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और नागरिकों के बीच चल रहे विवाद के बाद आया है.
पृष्ठभूमि
कुछ समय पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि के बाद एक आदेश जारी किया था जिसमें आवारा कुत्तों को आश्रयों में रखने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, इस फैसले को पशु अधिकार समूहों ने चुनौती दी थी, उनका तर्क था कि यह कुत्तों के कल्याण के लिए हानिकारक है और इन आश्रयों में सभी कुत्तों को रखने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.
नए आदेश का विवरण
नए आदेश के अनुसार, नगर निगम और स्थानीय निकाय यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी आवारा कुत्तों का टीकाकरण (vaccination) और नसबंदी (sterilization) की जाए. इसके बाद, उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जा सकता है जहां से उन्हें पकड़ा गया था. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजनिक सड़कों पर कुत्तों को खाना नहीं खिलाएगा. इसके बजाय, कुत्तों को खाना खिलाने के लिए अलग से निर्दिष्ट क्षेत्र (designated areas) बनाए जाएंगे. यह कदम सड़कों पर कुत्तों के झुंड को इकट्ठा होने से रोकने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
प्रतिक्रियाएँ
इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने टीकाकरण और नसबंदी के प्रावधान का स्वागत किया है, लेकिन सड़कों पर खाना खिलाने पर प्रतिबंध को लेकर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि यह कुत्तों के लिए भोजन प्राप्त करना मुश्किल बना देगा. वहीं, दूसरी ओर, कई नागरिकों और आवासीय कल्याण संघों (RWAs) ने इस फैसले का स्वागत किया है, उनका मानना है कि यह सड़कों को सुरक्षित बनाने में मदद करेगा.
भविष्य की राह
न्यायालय ने सभी पक्षों से सामंजस्य स्थापित करने और इस मुद्दे का एक स्थायी समाधान खोजने का आग्रह किया है. स्थानीय निकायों को जल्द ही निर्दिष्ट भोजन क्षेत्र बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की उम्मीद है.
