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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: एआईएफएफ को फुटबॉल सीज़न शुरू करने का आदेश, जस्टिस नागेश्वर राव देखेंगे आईएसएल टेंडर प्रक्रिया

Source Khelnow

नई दिल्ली, 2 सितंबर 2025 — भारतीय फुटबॉल में लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को नए सीज़न की शुरुआत के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। साथ ही, पूर्व जज जस्टिस एल. नागेश्वर राव को इंडियन सुपर लीग (ISL) की टेंडर प्रक्रिया की निगरानी की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

यह फैसला दो-न्यायाधीशीय पीठ — जस्टिस श्री नारसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची — ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि एआईएफएफ और इसके वाणिज्यिक भागीदार एफएसडीएल (FSDL) की संयुक्त प्रस्तावना के तहत सीज़न को जल्द शुरू करना आवश्यक है।

एमआरए विवाद पर अंतरिम राहत

आईएसएल का आयोजन मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (MRA) पर अटका हुआ था, जो दिसंबर 2025 में समाप्त हो रहा है। इसके नवीनीकरण पर असमंजस के कारण आईएसएल को अनिश्चितकालीन स्थगित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब क्लबों के लिए राह साफ हो गई है।

एआईएफएफ चुनाव पर कोई निर्देश नहीं

दिल्ली एफसी और पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया की ओर से नए चुनाव कराने की मांग पर कोर्ट ने फिलहाल कोई निर्देश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि इसका अंतिम फैसला एआईएफएफ ड्राफ्ट संविधान पर आने वाले दिनों में दिए जाने वाले निर्णय के साथ होगा। चुनाव पर हस्तक्षेप न करने से फिलहाल फीफा प्रतिबंध का खतरा भी टल गया है।

ड्राफ्ट संविधान और नया खेल कानून

कोर्ट ने माना कि एआईएफएफ का ड्राफ्ट संविधान प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025 के अनुरूप है। हालांकि, स्वायत्तता को लेकर वरिष्ठ वकीलों की आपत्तियों पर कोर्ट ने कहा कि अंतिम आदेश से पहले सभी तर्कों पर विचार किया जाएगा।

फुटबॉल कैलेंडर शुरू करने का आदेश

कोर्ट ने एआईएफएफ को निर्देश दिया कि सुपर कप समेत सभी घरेलू प्रतियोगिताएं समय पर आयोजित हों ताकि 2025-26 सीज़न प्रभावित न हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि एआईएफएफ और एफएसडीएल की साझेदारी भारतीय फुटबॉल के विकास में अहम भूमिका निभाएगी।

आईएसएल टेंडर पर निगरानी

एआईएफएफ और एफएसडीएल ने सुझाव दिया था कि किसी बड़ी ऑडिट कंपनी को टेंडर प्रक्रिया की निगरानी दी जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खुद जस्टिस नागेश्वर राव को यह ज़िम्मेदारी सौंपी है। वे आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञों की टीम भी नियुक्त कर सकते हैं।

यह फैसला भारतीय फुटबॉल के लिए नई उम्मीद लेकर आया है और अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश पर टिकी होंगी।

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