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नई दिल्ली: देश के कई हिस्सों, विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास, बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। इस याचिका में न्यायालय से तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करते हुए, देशव्यापी वायु प्रदूषण संकट को ‘राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य आपातकाल’ (National Public Health Emergency) घोषित करने की अपील की गई है।
याचिका में मुख्य मांगें और तर्क
स्वास्थ्य और कल्याण विशेषज्ञ ल्यूक क्रिस्टोफर कौटिन्हो द्वारा दायर इस याचिका में केंद्र सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) समेत कई राज्य सरकारों को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि वायु प्रदूषण का मौजूदा संकट देश के नागरिकों के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहा है।
‘राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य आपातकाल’ की घोषणा: याचिका में मांग की गई है कि वायु प्रदूषण को तुरंत एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया जाए।
समयबद्ध राष्ट्रीय कार्य योजना: प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक स्पष्ट समयसीमा और मापनीय लक्ष्यों वाली एक प्रभावी राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने की मांग की गई है, जिसे वैधानिक बल प्रदान किया जाए ताकि गैर-अनुपालन पर दंडात्मक कार्रवाई हो सके।
अपरिवर्तनीय स्वास्थ्य क्षति का हवाला: याचिका में सरकारी और चिकित्सा अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया है कि अकेले दिल्ली में 22 लाख स्कूली बच्चों को जहरीली हवा के कारण फेफड़ों की अपरिवर्तनीय क्षति हो चुकी है।
प्रशासनिक विफलता: याचिका में कहा गया है कि लगातार बिगड़ते हालात के बावजूद प्रशासनिक प्रयास ‘खंडित और अप्रभावी’ रहे हैं और मौजूदा प्रदूषण नियंत्रण कानून तथा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) अपने उद्देश्यों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
प्रवर्तन पर जोर: औद्योगिक उत्सर्जन मानकों के सख्त प्रवर्तन, पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने के लिए प्रोत्साहन और उच्च उत्सर्जन वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की भी मांग की गई है।
अस्पतालों में बढ़े मरीज़, विशेषज्ञ ने दी चेतावनी
प्रदूषण के कारण अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीज़ों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मौजूदा स्थिति को ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ बताया है और चेतावनी दी है कि यह ‘साइलेंट किलर’ वायु प्रदूषण COVID-19 महामारी से भी अधिक घातक साबित हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट आने वाले दिनों में इस महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई कर सकता है।
