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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के गंभीर हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से विस्तृत रिपोर्ट माँगी है। कोर्ट ने सवाल उठाया है कि जब प्रदूषण की निगरानी करने वाले कई स्टेशन काम ही नहीं कर रहे हैं, तो ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जाएगा?
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश उस वक्त दिए जब अदालत की सहायता कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता (एमिकस क्यूरी) अपराजिता सिंह ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया कि दिल्ली में प्रदूषण निगरानी के कई केंद्र काम नहीं कर रहे हैं।
⚠️ दिवाली पर सिर्फ 9 स्टेशन थे चालू
एमिकस क्यूरी ने पीठ को बताया कि दिवाली के दिन 37 में से केवल 9 निगरानी स्टेशन ही लगातार काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, “अखबार-दर-अखबार यही खबर है कि निगरानी स्टेशन निष्क्रिय हैं। यदि स्टेशन काम नहीं कर रहे हैं, तो हमें पता ही नहीं चलेगा कि GRAP को कब लागू करना है। यही स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।”
इस पर संज्ञान लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने CAQM और CPCB को तुरंत एक शपथ पत्र (Affidavit) दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें बताया जाए कि दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ती वायु गुणवत्ता को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और निगरानी स्टेशनों की वर्तमान स्थिति क्या है।
कोर्ट ने अधिकारियों को सक्रिय (Proactive) उपाय करने पर जोर दिया, न कि केवल स्थिति बिगड़ने पर प्रतिक्रिया देने पर। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सोमवार को भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना रहा।
