Source The Indian Express
काठमांडू: नेपाल में चल रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करने की मांग जोर पकड़ रही है। युवा प्रदर्शनकारियों, जिन्हें “जेन-जेड” कहा जाता है, ने देश को मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल और भ्रष्टाचार से बाहर निकालने के लिए एक तटस्थ और सम्मानित व्यक्ति के रूप में उनका नाम प्रस्तावित किया है।
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की नेपाल के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। वह सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थीं, जिन्होंने 2016 से 2017 तक इस पद पर कार्य किया। 73 वर्षीय कार्की को उनके कड़े भ्रष्टाचार विरोधी रुख और स्वतंत्र फैसलों के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में, उन्होंने कई उच्च-प्रोफाइल मामलों में फैसले दिए, जिससे राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बल मिला।
कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री और नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में न्यायपालिका में प्रवेश किया।
युवाओं की पसंद क्यों?
नेपाल में हालिया विरोध प्रदर्शनों ने राजनीतिक दलों के प्रति व्यापक अविश्वास को उजागर किया है। युवा प्रदर्शनकारी, जो सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए विरोध को अब भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ एक बड़े आंदोलन में बदल चुके हैं, एक ऐसे नेता की तलाश में हैं जो राजनीतिक वर्ग से संबंधित न हो।
कार्की की अराजनीतिक छवि और न्यायपालिका में उनकी ईमानदार प्रतिष्ठा उन्हें इस भूमिका के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाती है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बिना किसी पक्षपात के देश को स्थिरता प्रदान कर सकती हैं और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कर सकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 5,000 से अधिक युवाओं ने एक वर्चुअल मीटिंग में उनके नाम का समर्थन किया है।
आगे की राह
सुशीला कार्की ने कथित तौर पर इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, लेकिन उन्होंने समर्थन में लिखित हस्ताक्षर मांगे थे, जो उन्हें मिल चुके हैं। हालांकि, अभी भी उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने की राह में कई चुनौतियां हैं। राजनीतिक दल अभी भी एक सर्वसम्मत नेता की तलाश में हैं, और कार्की का नाम एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरा है।
