SOURCE Mint
नई दिल्ली: स्टील क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा स्टील को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के कथित अनियमित लाभ को लेकर कर अधिकारियों से ₹1,007 करोड़ से अधिक का कारण बताओ-सह-मांग नोटिस मिला है। हालांकि, कंपनी ने जोर देकर कहा है कि इस दावे में कोई दम नहीं है और उसने पहले ही ₹514,19,36,211 का वस्तु एवं सेवा कर (GST) सामान्य व्यावसायिक परिचालन के दौरान चुका दिया है।
यह नोटिस वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2022-23 की अवधि के लिए रांची स्थित केंद्रीय कर आयुक्त (लेखा परीक्षा) कार्यालय द्वारा जारी किया गया है। नोटिस में टाटा स्टील से 30 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है कि ₹1,007,54,83,342 की जीएसटी राशि क्यों न वसूली जाए।
टाटा स्टील ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई अपनी फाइलिंग में स्पष्ट किया है कि नोटिस में उल्लेखित कुल जीएसटी राशि में से, ₹514.19 करोड़ का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। इसलिए, कंपनी के अनुसार, वास्तविक कथित जीएसटी देनदारी ₹493.35 करोड़ है।
कंपनी ने यह भी कहा कि उसका मानना है कि इस नोटिस में “कोई दम नहीं है” और वह निर्धारित समय सीमा के भीतर उचित मंच के समक्ष अपनी प्रस्तुतियाँ देगी। टाटा स्टील ने यह भी स्पष्ट किया कि इस नोटिस से कंपनी की वित्तीय, परिचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या है इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC)?
इनपुट टैक्स क्रेडिट जीएसटी प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो व्यवसायों को उनके द्वारा बेचे जाने वाले सामान या सेवाओं पर देय कर को कम करने की अनुमति देता है। इसका मतलब है कि जब कोई व्यवसाय उत्पादन या सेवाओं के लिए इनपुट खरीदता है और उस पर जीएसटी का भुगतान करता है, तो वह उस इनपुट पर भुगतान किए गए कर का क्रेडिट अपनी अंतिम कर देनदारी के खिलाफ दावा कर सकता है। यह करों के व्यापक प्रभाव (cascading effect) को रोकने में मदद करता है।
यह मामला जीएसटी व्यवस्था के तहत कर अनुपालन और इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों की बढ़ती जांच को रेखांकित करता है। कंपनियां अब अपने कर रिकॉर्ड और दावों को अधिक सटीकता से बनाए रखने के लिए दबाव में हैं।
