Source Financial Express
गोरखपुर: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के एक कर्मचारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर प्रदर्शन सुधार योजना (पीआईपी) के तहत अपने मानसिक और भावनात्मक संघर्षों को साझा किया है। कर्मचारी ने बताया कि पीआईपी में रखे जाने के बाद से वह अत्यधिक दबाव और चिंता में जी रहा है।
कर्मचारी के अनुसार, उन्हें अचानक से उनके प्रदर्शन को लेकर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और उन्हें पीआईपी में डाल दिया गया, जबकि उन्हें पहले कभी इस तरह की कोई चेतावनी नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि पीआईपी की प्रक्रिया बहुत तनावपूर्ण है, जिसमें लगातार अपनी नौकरी खोने का डर बना रहता है।
“यह मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत थका देने वाला है,” कर्मचारी ने कहा। “हर दिन काम पर जाना एक चुनौती बन गया है, और मैं लगातार अपनी नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता हूं।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पीआईपी का उपयोग कंपनी द्वारा कर्मचारियों की संख्या कम करने के एक तरीके के रूप में किया जा रहा है। उनका मानना है कि कई सक्षम कर्मचारियों को अनुचित तरीके से पीआईपी में डालकर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
टीसीएस की तरफ से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कई आईटी कंपनियां कथित तौर पर लागत में कटौती के उपायों के तहत कर्मचारियों पर प्रदर्शन का दबाव बढ़ा रही हैं। कर्मचारियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस तरह की प्रथाओं पर चिंता व्यक्त की है और कंपनियों से कर्मचारियों के साथ अधिक मानवीय व्यवहार करने का आग्रह किया है।
इस कर्मचारी का अनुभव उन कई आईटी पेशेवरों की कहानियों को दर्शाता है जो वर्तमान में नौकरी की अनिश्चितता और अत्यधिक दबाव का सामना कर रहे हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि टीसीएस इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने के लिए कोई कदम उठाती है।
