Source Aljajeera
बैंकॉक/नोम पेन्ह: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद गुरुवार को घातक झड़पों में बदल गया, जिसमें कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। इस हिंसा ने दोनों देशों के बीच दशकों में सबसे बड़ा सैन्य टकराव पैदा कर दिया है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर चिंताएं बढ़ गई हैं।
गुरुवार सुबह से ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच ता मुएन थोम मंदिर के पास और सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी गोलीबारी, रॉकेट हमले और हवाई हमले हुए। थाईलैंड ने कंबोडियाई सेना पर नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया, जिसके जवाब में थाई सेना ने F-16 लड़ाकू जेट विमानों का इस्तेमाल करते हुए कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए। थाई अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उनकी तरफ नौ नागरिकों की मौत हुई है, जब कंबोडियाई रॉकेटों ने थाईलैंड के सिसकेट प्रांत में एक पेट्रोल स्टेशन को निशाना बनाया।
यह ताजा हिंसा मई से बढ़ रहे तनाव का परिणाम है, जब एक कंबोडियाई सैनिक सीमा पर एक झड़प में मारा गया था। पिछले हफ्ते, एक लैंडमाइन विस्फोट में थाई सैनिक घायल हो गए थे, जिसके बाद राजनयिक संबंधों में और गिरावट आई। गुरुवार को हुई घातक झड़पों से कुछ घंटे पहले ही दोनों देशों ने औपचारिक रूप से अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था। थाईलैंड ने अपनी सभी सीमा चौकियां बंद कर दी हैं, जबकि कंबोडिया ने थाईलैंड से कई वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें मीडिया, कृषि उत्पाद और यहां तक कि इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर भी शामिल है।
इस विवाद की जड़ें एक सदी से भी पहले की हैं, जब 1907 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक मानचित्रों ने सीमा को चिह्नित किया था। इस विवाद के केंद्र में 11वीं सदी का प्रसिद्ध हिंदू मंदिर, प्रीह विहार है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने 1962 में मंदिर पर कंबोडिया के संप्रभुता के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन थाईलैंड अभी भी मंदिर के आसपास की भूमि पर अपना दावा करता है।
दोनों देश एक-दूसरे पर पहले हमला करने का आरोप लगा रहे हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, आसियान जैसे क्षेत्रीय संगठनों से हस्तक्षेप की अपील की जा रही है ताकि तनाव को कम किया जा सके और आगे की हिंसा को रोका जा सके।
