Source The Economics Time
नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार के लिए आने वाला हफ्ता बेहद अहम रहने वाला है। वैश्विक और घरेलू, दोनों ही तरह के कई महत्वपूर्ण कारक बाजार की दिशा तय करेंगे। निवेशकों की नजर खास तौर पर अमेरिका के टैरिफ, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियां और तिमाही नतीजों पर टिकी रहेगी। पिछले हफ्ते बाजार में आई गिरावट और वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए, इन सभी कारकों का असर बाजार पर साफ तौर पर देखने को मिल सकता है।
1. ट्रंप टैरिफ का असर:
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने बाजार में हलचल पैदा कर दी है। यह टैरिफ भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों, जैसे कि रत्न एवं आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और कपड़ा उद्योग को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ अंतिम नहीं है और इसमें कमी आने की संभावना है। फिर भी, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर और निर्यात पर अल्पकालिक असर डाल सकता है, जिससे बाजार की धारणा कमजोर हो सकती है।
2. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक:
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक इस हफ्ते होने वाली है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक में रेपो रेट में कटौती की संभावना कम है, लेकिन आरबीआई का रुख बाजार के लिए महत्वपूर्ण होगा। अगर आरबीआई महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में कटौती का फैसला नहीं करता है, तो इसका असर शेयर बाजार पर दिख सकता है। वहीं, अगर दरों में कटौती होती है, तो यह बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा।
3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली:
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली बाजार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। जुलाई के महीने में FII ने भारी मात्रा में भारतीय शेयरों की बिकवाली की है, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा है। अमेरिका में डॉलर इंडेक्स में मजबूती और वैश्विक मंदी की आशंकाओं के चलते विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकाल रहे हैं। अगर यह बिकवाली जारी रहती है, तो बाजार में और गिरावट आ सकती है।
4. कंपनियों के तिमाही नतीजे:
इस हफ्ते कई बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे भी सामने आने वाले हैं, जिनमें अदानी ग्रीन एनर्जी, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी, टाटा मोटर्स और एसबीआई जैसी कंपनियां शामिल हैं। इन नतीजों से बाजार की दिशा को लेकर महत्वपूर्ण संकेत मिलेंगे। अगर कंपनियों के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहते हैं, तो बाजार में तेजी आ सकती है, लेकिन कमजोर नतीजों से दबाव बढ़ने की संभावना है।
5. कच्चे तेल की कीमतें और रुपये की चाल:
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और रुपये की स्थिति भी बाजार के लिए अहम कारक हैं। अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत के लिए आयात बिल बढ़ेगा और इससे रुपये पर दबाव बढ़ सकता है। पिछले हफ्ते रुपये में गिरावट देखी गई थी, और अगर यह जारी रहती है, तो विदेशी निवेशकों की बिकवाली और तेज हो सकती है।
इन सभी कारकों को देखते हुए, यह कहना मुश्किल नहीं है कि आने वाला हफ्ता भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा हो सकता है। निवेशकों को सावधानी से निवेश करने और लंबी अवधि की रणनीति पर ध्यान देने की सलाह दी गई है।
