Source The Hindu
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में परमाणु हथियारों के परीक्षण को फिर से शुरू करने का संकेत देकर दुनिया भर में गहरा तनाव पैदा कर दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में कहा कि, “अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण,” उन्होंने अमेरिकी युद्ध विभाग को ‘समान आधार पर’ परमाणु हथियारों का परीक्षण ‘तत्काल’ शुरू करने का निर्देश दिया है।
यह बयान दशकों से चली आ रही अमेरिकी परमाणु नीति से एक बड़ा विचलन है। अमेरिका ने 1992 से परमाणु हथियारों का कोई विस्फोटक परीक्षण नहीं किया है, और 1996 में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर किए थे।
🚨 रूस और चीन पर लगाए गुप्त परीक्षण के आरोप
ट्रम्प ने अपने इस कदम को सही ठहराते हुए रूस और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों पर गुप्त रूप से परमाणु हथियारों का परीक्षण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में यहां तक दावा किया कि रूस, चीन, उत्तर कोरिया और यहां तक कि पाकिस्तान भी परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन वे इसे छिपा रहे हैं। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है, और चीन ने सार्वजनिक रूप से इन आरोपों का खंडन किया है।
🌍 वैश्विक प्रतिक्रिया और चिंताएँ
राष्ट्रपति ट्रम्प के इस बयान ने विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के बीच बड़ी चिंता पैदा कर दी है।
संयुक्त राष्ट्र ने परमाणु प्रसार के विरुद्ध आगाह किया है और परमाणु परीक्षणों पर रोक को कायम रखने का आग्रह किया है।
रक्षा जानकारों का मानना है कि अमेरिका द्वारा परीक्षण फिर से शुरू करने से वैश्विक हथियारों की एक नई दौड़ शुरू हो सकती है, जिससे रूस और चीन जैसे देश भी जवाबी परीक्षण के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम वैज्ञानिक कारणों से नहीं बल्कि राजनीतिक है, जो चीन और रूस के बढ़ते परमाणु शस्त्रागार के बीच आया है।
ट्रम्प का यह बयान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी मुलाकात से ठीक पहले आया था। रूस द्वारा परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल ‘बुरेवेस्टनिक’ और परमाणु-सक्षम अंडरवाटर ड्रोन के परीक्षण जैसी हालिया घटनाओं ने भी इस तनाव को बढ़ाया है।
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