Source Nikkei Asia
सियोल, दक्षिण कोरिया। एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जल्दी रवाना होने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुख्य मंच संभाल लिया है, जिससे बीजिंग को क्षेत्रीय नेतृत्व की भूमिका मजबूत करने का मौका मिल गया है।
🇺🇸 ट्रंप का अचानक प्रस्थान और ‘G2’ की महत्ता
गुरुवार को दक्षिण कोरिया के बुसान में शी जिनपिंग के साथ अपनी बहुप्रतीक्षित मुलाकात के तुरंत बाद राष्ट्रपति ट्रंप वाशिंगटन के लिए रवाना हो गए। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने व्यापार युद्ध को कम करने पर सहमति व्यक्त की। ट्रंप ने इस बैठक को “G2” (अमेरिका और चीन के दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के दर्जे को दर्शाते हुए) नाम दिया और इसे “बेहद सफल” बताया।
हालांकि, ट्रंप ने APEC के मुख्य कार्यक्रम को छोड़ दिया, जो बहुपक्षीय मंचों के प्रति उनके जाने-पहचाने अनादर को दर्शाता है। उनका यह कदम अमेरिका की क्षेत्रीय कूटनीति की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा करता है, जो दुनिया की लगभग 40% आबादी और आधे से अधिक वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है।
🇨🇳 शी जिनपिंग ने संभाली कमान और मुक्त व्यापार की वकालत
ट्रंप की अनुपस्थिति ने शी जिनपिंग को सम्मेलन में पूरी तरह से नेतृत्व की भूमिका में ला दिया। चीन के राष्ट्रपति ने मुक्त व्यापार के वैश्विक रक्षक के रूप में खुद को स्थापित किया, यह कहते हुए कि चीन वैश्विक मुक्त व्यापार की रक्षा करेगा, जबकि ट्रंप प्रशासन ने इस पर सवाल उठाए हैं।
शुक्रवार को, शी जिनपिंग ने कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें कनाडा के प्रधानमंत्री भी शामिल थे, जिससे बीजिंग के साथ तनावपूर्ण संबंधों को फिर से स्थापित करने का प्रयास किया गया। चीन ने वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संगठन बनाने का प्रस्ताव भी दिया, जिससे वह तकनीकी नेतृत्व की दिशा में एक नई पहल कर सके।
🌍 क्षेत्रीय भू-राजनीति और भविष्य की चिंताएँ
ट्रंप के सम्मेलन से जल्दी चले जाने ने विश्लेषकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या दुनिया एक ‘अमेरिका-बाद के युग’ के लिए तैयार हो रही है। उनकी अनुपस्थिति ने न केवल शी जिनपिंग पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि उन क्षेत्रीय संस्थाओं की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाया, जिन्हें चीन को प्रतिसंतुलित करने के लिए स्थापित किया गया था, जैसे कि क्वाड (QUAD)।
अगले साल 2026 में APEC शिखर सम्मेलन की मेजबानी चीन के शेनझेन शहर में होगी, जो शी जिनपिंग के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती कूटनीतिक पकड़ को प्रदर्शित करने का एक और अवसर होगा।
