Source NEWS 18
भारत में महिलाओं की भूमिका और पहचान समय के साथ बदलती रही है, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो न केवल व्यक्तिगत संघर्ष की गाथा कहती हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों की भी प्रतीक बन जाती हैं।
कश्मीरी पंडित महिला: परंपरा और पहचान की प्रतीक
कश्मीरी पंडित समुदाय की महिलाएं ‘डेज़हूर’ नामक आभूषण पहनती हैं, जो विवाह के समय से ही उनके कानों में पहना जाता है। यह आभूषण शिव और शक्ति के यंत्र का प्रतीक माना जाता है और पति की मृत्यु के बाद भी इसे पहना जाता है, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान और परंपरा से जुड़ा होता है।
हालांकि, कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए अत्याचारों और न्याय की धीमी प्रक्रिया ने इस समुदाय में असंतोष को जन्म दिया है। Youth4PanunKashmir और Roots in Kashmir जैसे संगठनों ने इन अपराधों की जांच में प्रगति की कमी पर चिंता जताई है।
‘सिंदूर’ की हड़ताल: परंपरा और पेशेवर जीवन का संगम
दूसरी ओर, सीआरपीएफ की महिला जवानें, जैसे कि शशि, पारंपरिक सिंदूर और बिंदी पहनकर अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए, एके-47 जैसे हथियारों के साथ देश की सुरक्षा में जुटी हैं। वे अपने पारिवारिक और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाते हुए, समाज में महिलाओं की बदलती भूमिका का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
निष्कर्ष
ये दो कहानियाँ भारत में महिलाओं की विविधता, संघर्ष और शक्ति का प्रतीक हैं। एक ओर, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करती कश्मीरी पंडित महिला, और दूसरी ओर, आधुनिकता और पेशेवर जिम्मेदारियों को निभाती सीआरपीएफ की महिला जवान। ये दोनों ही भारत की सामाजिक संरचना में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती हैं।
