Source Live Law
नई दिल्ली: ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ फिल्म को लेकर जारी विवाद के बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार की उस शक्ति पर सवाल उठाए, जिसके तहत उसने फिल्म में छह कट लगाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत केंद्र के पुनरीक्षण (revisional) अधिकार ऐसी सिफारिशें करने की अनुमति देते हैं।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा कि उसने अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग किस दायरे में किया है। अदालत ने टिप्पणी की, “आपको अपनी शक्तियों का प्रयोग कानून के चार कोनों के भीतर ही करना होगा। आप उससे आगे नहीं जा सकते।”
यह मामला उदयपुर में 2022 के कन्हैया लाल हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद जावेद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। जावेद ने तर्क दिया है कि फिल्म की रिलीज से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार का उल्लंघन होगा।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा पहले ही 55 कट सुझाए जाने के बाद, केंद्र सरकार द्वारा छह अतिरिक्त कट की सिफारिश करना और अस्वीकरण (disclaimer) में संशोधन करना, उसके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है। उन्होंने जोर दिया कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा 6 के तहत, केंद्र या तो फिल्म के प्रमाण पत्र को बरकरार रख सकता है, बदल सकता है या रद्द कर सकता है, लेकिन विशिष्ट कट या बदलाव का निर्देश देकर सेंसर बोर्ड की तरह काम नहीं कर सकता।
अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा से पूछा कि क्या सरकार का कट लगाने का निर्देश धारा 6 के तहत उसके पुनरीक्षण अधिकारों के दायरे में आता है, खासकर संशोधित वैधानिक प्रावधानों के आलोक में।
यह याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली हाई कोर्ट को हस्तांतरित की गई थीं, जब शीर्ष अदालत ने यह नोट किया था कि केंद्र ने 21 जुलाई को फिल्म की रिलीज को छह विशिष्ट कट और अस्वीकरण में बदलाव के साथ मंजूरी दे दी थी। इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को कहा था कि चूंकि फिल्म निर्माताओं ने केंद्र के संशोधित आदेश को स्वीकार कर लिया है, इसलिए उनकी अपील निष्प्रभावी हो गई है।
मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी, जब केंद्र सरकार अपनी दलीलें पूरी करेगी।
