Source Firstpost
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अपनी मध्यवर्षीय विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2024 रिपोर्ट में भारत की 2025 की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित करते हुए इसे 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले इस दर को 6.5 प्रतिशत आंका गया था। यह संशोधन वैश्विक और घरेलू आर्थिक कारकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, लेकिन वैश्विक मांग में सुस्ती, भू-राजनीतिक तनाव और मौद्रिक सख्ती जैसे कारकों का असर विकास दर पर पड़ सकता है। साथ ही, घरेलू स्तर पर उपभोक्ता मांग और निजी निवेश में सुस्ती भी एक चुनौती है।
फिर भी, संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे में किए जा रहे निवेश, डिजिटल और तकनीकी सुधार, और आर्थिक सुधारों से विकास को समर्थन मिलता रहेगा।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत की आर्थिक नीतियां, खासकर वित्तीय समावेशन और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजनाएं, आने वाले वर्षों में आर्थिक वृद्धि को गति देने में सहायक होंगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैश्विक परिस्थितियां अनुकूल रहीं और नीति कार्यान्वयन प्रभावी रहा, तो भारत अपेक्षित से अधिक तेज़ी से भी बढ़ सकता है।
