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वाशिंगटन डीसी: अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के उस फैसले को अदालत में चुनौती दी है, जिसमें नई एच-1बी वीज़ा याचिकाओं पर $100,000 (एक लाख डॉलर) का भारी भरकम शुल्क लगाया गया है। चैंबर ने गुरुवार को वाशिंगटन डी.सी. की जिला अदालत में यह संघीय मुकदमा दायर किया, जिसमें इस शुल्क को “गैरकानूनी” और अमेरिकी व्यवसायों के लिए हानिकारक बताया गया है।
अवैध और अत्यधिक शुल्क का आरोप
अपने मुकदमे में, चैंबर ऑफ कॉमर्स ने तर्क दिया है कि वीज़ा शुल्क बढ़ाने का यह कदम आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम (Immigration and Nationality Act) का उल्लंघन करता है, जिसके तहत वीज़ा से संबंधित शुल्क केवल सरकारी प्रोसेसिंग लागतों को दर्शाने के लिए निर्धारित किए जाते हैं। चैंबर ने कहा कि $100,000 का यह वार्षिक शुल्क अत्यधिक है और अमेरिकी कंपनियों पर एक अनुचित वित्तीय बोझ डालेगा।
चैंबर के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य नीति अधिकारी नील ब्रैडली ने कहा, “यह नया $100,000 वीज़ा शुल्क अमेरिकी नियोक्ताओं, विशेष रूप से स्टार्ट-अप्स और छोटे एवं मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए एच-1बी कार्यक्रम का उपयोग करना लागत-निषेधात्मक बना देगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह कदम विदेशी उच्च कौशल वाले पेशेवरों की भर्ती को बाधित करेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को नुकसान पहुंचाएगा।
अदालत से रोक लगाने की मांग
इस मुकदमे में अदालत से यह घोषित करने की मांग की गई है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस शुल्क को लागू करके कार्यकारी शाखा की शक्तियों का उल्लंघन किया है। साथ ही, संघीय एजेंसियों को इस आदेश को लागू करने से रोकने के लिए भी गुहार लगाई गई है।
ट्रंप प्रशासन ने पिछले महीने यह आदेश जारी करते हुए तर्क दिया था कि यह शुल्क कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को कम वेतन पर रखने से हतोत्साहित करेगा और अमेरिकी नागरिकों के लिए अधिक रोज़गार के अवसर पैदा करेगा।
हालांकि, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स का यह कानूनी कदम दर्शाता है कि अमेरिकी व्यापार जगत का एक बड़ा हिस्सा प्रशासन की इस नीति को अमेरिकी नवाचार और विकास के लिए एक बाधा मानता है।
यह मामला अब अदालत के फैसले पर निर्भर करेगा कि क्या ट्रंप प्रशासन के पास कांग्रेस द्वारा बनाए गए वीज़ा कानूनों को दरकिनार करते हुए इतना बड़ा शुल्क लगाने का अधिकार है या नहीं।
