नई दिल्ली: अमेरिकी सरकार ने एच-1बी वीजा (H-1B visa) के संबंध में एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है, जिससे भारतीय आईटी क्षेत्र में राहत की लहर दौड़ गई है। व्हाइट हाउस ने यह साफ कर दिया है कि 100,000 डॉलर का नया शुल्क केवल नए एच-1बी आवेदकों पर एक एक-मुश्त भुगतान के रूप में लागू होगा। यह मौजूदा वीज़ा धारकों या नवीनीकरण के लिए नहीं है, जैसा कि पहले आशंका जताई जा रही थी।
सप्ताहांत में भारत की सक्रियता
यह महत्वपूर्ण राहत भारत सरकार के अथक प्रयासों का परिणाम है। वाणिज्य सचिव हावर्ड ल्यूटनिक के प्रारंभिक बयान, जिसमें $100,000 के वार्षिक शुल्क का उल्लेख किया गया था, के बाद भारत में घबराहट फैल गई थी। इस घोषणा से न केवल नए आवेदकों बल्कि मौजूदा एच-1बी वीज़ा धारकों में भी चिंता बढ़ गई थी। इस स्थिति को देखते हुए, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने तुरंत हरकत में आया।
उच्च-स्तरीय बातचीत
सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताहांत (weekend) में ही ट्रंप प्रशासन के साथ उच्च-स्तरीय बातचीत शुरू कर दी थी। ये चर्चाएं नई दिल्ली और वाशिंगटन दोनों में हुई। इन वार्ताओं के दौरान, भारतीय अधिकारियों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में एच-1बी वीजा धारकों के महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया। इन प्रयासों के बाद ही व्हाइट हाउस ने प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट के माध्यम से एक विस्तृत बयान जारी किया, जिसमें शुल्क को “एक-मुश्त” और “केवल नए आवेदनों” के लिए स्पष्ट किया गया।
उद्योग जगत में राहत
इस घोषणा के बाद, भारतीय आईटी उद्योग ने राहत की सांस ली है। नासकॉम (NASSCOM) जैसे प्रमुख उद्योग निकायों ने भी अमेरिका सरकार के इस कदम की सराहना की है। शुरुआती रिपोर्टों में एच-1बी धारकों के बीच अफरा-तफरी का माहौल था, जिसमें कई लोगों ने अपनी यात्रा योजनाएं रद्द कर दी थीं और कुछ विदेशों में फंसे होने की आशंका से जल्दबाजी में अमेरिका लौटने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, इस स्पष्टीकरण के बाद यह चिंता दूर हो गई है।
आगे की राह
हालांकि, भारत सरकार इस मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में है। एच-1बी वीज़ा और अन्य व्यापारिक मामलों पर दोनों देशों के बीच आगे भी बातचीत जारी रहने की उम्मीद है।
