SOURCE Financial Express
नई दिल्ली: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की बातचीत अब अपने निर्णायक मोड़ पर है। जैसे-जैसे 1 अगस्त, 2025 की टैरिफ समय-सीमा नजदीक आ रही है, भारतीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन डी.सी. में अमेरिकी अधिकारियों के साथ गहन विचार-विमर्श कर रहा है। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि टैरिफ के बावजूद भारत के लिए अरबों डॉलर के निर्यात उछाल का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है।
हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि अमेरिका भारत के लिए प्रस्तावित टैरिफ को 20% से कम करने पर विचार कर रहा है, जो पहले 26% था। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत को अन्य क्षेत्रीय देशों पर प्रतिस्पर्धी बढ़त दिला सकता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) ने अमेरिका को निर्यात के लिए 300 से अधिक “उच्च क्षमता वाली वस्तुओं” की पहचान की है, जिनमें फ्रोजन झींगा, फार्मास्यूटिकल्स, स्मार्टफोन, हीरे, कालीन, चावल और शहद जैसे उत्पाद शामिल हैं। ये वस्तुएं भारत के अमेरिका को कुल निर्यात का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा हैं।
हालांकि, समझौते की राह में कुछ चुनौतियां भी हैं। अमेरिका डेयरी उत्पादों और कुछ कृषि वस्तुओं पर टैरिफ रियायतों की मांग कर रहा है, जिस पर भारत ने अब तक अपना रुख कड़ा रखा है। भारत अपने श्रम-गहन क्षेत्रों, जैसे कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान, और झींगा के लिए शुल्क रियायतों की मांग कर रहा है।
मौजूदा टैरिफ का प्रभाव कुछ क्षेत्रों में देखा जा रहा है। उदाहरण के लिए, तांबे और फार्मास्यूटिकल्स पर उच्च अमेरिकी टैरिफ भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतियां पेश कर सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक टैरिफ पुनर्संरचना के कारण भारत के पास अभी भी निर्यात बढ़ाने के कई अवसर हैं। SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत रसायनों, परिधान, कृषि उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बाजार हिस्सेदारी हासिल कर सकता है, भले ही भारत-अमेरिका व्यापार समझौता उम्मीद के मुताबिक न हो या इसमें कुछ रियायतें शामिल हों।
भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-मई की अवधि में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.78% बढ़कर 17.25 बिलियन डॉलर हो गया है, जबकि आयात 25.8% बढ़कर 8.87 बिलियन डॉलर रहा। ये आंकड़े मजबूत होते व्यापार संबंधों का संकेत देते हैं।
यह समझौता भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है, जिससे न केवल उसके निर्यात में वृद्धि होगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में उसकी स्थिति भी मजबूत होगी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि दोनों देश टैरिफ और संवेदनशील क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर कैसे समझौता करते हैं ताकि एक mutually beneficial डील को अंतिम रूप दिया जा सके।
