वॉशिंगटन: हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिकी सरकार द्वारा यूएसएआईडी (USAID) के तहत 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी गई थी। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन ने इन खबरों को पूरी तरह गलत बताते हुए स्पष्ट किया कि यह अनुदान भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के चुनावी प्रक्रिया से जुड़े कार्यक्रमों के लिए था।
क्या है पूरा मामला?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में आरोप लगाया था कि अमेरिका भारत में चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए करोड़ों डॉलर भेज रहा है। इस दावे को लेकर विवाद बढ़ा, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह धनराशि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के समर्थन के लिए प्रदान की गई थी, न कि भारत में।
अमेरिकी सरकार की सफाई
अमेरिकी विदेश विभाग और यूएसएआईडी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह सहायता बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को प्रोत्साहित करने के लिए थी। भारत को इस तरह की कोई फंडिंग नहीं दी गई है।
डोनाल्ड ट्रंप का दावा कितना सही?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप ने बिना तथ्यों की पुष्टि किए यह बयान दिया, जिससे राजनीतिक माहौल गर्म हो गया। उनकी यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले भारत के प्रति कूटनीतिक नीति पर सवाल उठाने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है।
सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें
इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जिनमें यह दावा किया जा रहा है कि अमेरिका भारत में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, आधिकारिक स्रोतों ने इसे पूरी तरह से गलत करार दिया है।
निष्कर्ष
यूएसएआईडी की यह 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए थी। सोशल मीडिया पर फैली भ्रामक खबरों से बचने के लिए आधिकारिक स्रोतों की पुष्टि करना ज़रूरी है।
